Fri. Nov 22nd, 2024
Chabahar PortChabahar Port

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भारत-ईरान के बीच हुई चाबहार बंदरगाह डील को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा, “कोई भी देश जो ईरान के साथ व्यापार सौदे को अंजाम दे रहा है, उसे संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों के लिए तैयार रहना चाहिए।”

India-Iran Chabahar Port Deal : वॉशिंगटन। भारत और ईरान के बीच ईरान के चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के संचालन को लेकर हुए समझौते से अमेरिका तिलिमला गया है। दस साल के इस अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के कुछ घंटों बाद ही उसने बिना नाम लिये भारत को धमकी दी। कहा, “ईरान के साथ व्यापार समझौता करने वाले देशों पर प्रतिबंध (Sanctions) लगाए जा सकते हैं।”

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भारत-ईरान दे बीच हई चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) डील को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में यह कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोई भी देश जो ईरान के साथ व्यापार सौदे को अंजाम दे रहा है, उसे संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों (Sanctions) के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि वेदांत पटेल ने यह भी कहा कि भारत सरकार को विदेश नीति पर अपनी बात रखने का पूरा हक है।

वेदांत पटेल ने आगे कहा कि भारत और ईरान के बीच हुए चाबहार बंदरगाह को लेकर समझौते से अमेरिका अवगत है। उन्होंने आगे कहा, “मैं बस यही कहूंगा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे।”

आईपीजीएल और पीएमओ के बीच हुआ समझौता

सोमवार को ईरान में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और पो‌र्ट्स एंड मैरिटाइम आर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान (पीएमओ) के बीच चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) को लेकर समझौता हुआ था। देश में आम चुनाव प्रक्रिया जारी रहने के बावजूद भारत के जहाजरानी एवं बंदरगाह मंत्री सर्बानंद सोनोवाल का ईरान जाना बताता है कि भारत इस परियोजना को कितना महत्व देता है।( India-Iran Chabahar Port Deal)

अमेरिका और ईरान आमने-सामने

भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह समझौता (Chabahar Port Deal) तब किया है जब अमेरिका और ईरान के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। चाबहार बंदरगाह को लेकर अमेरिका का रवैया वैसे कुछ नरम रहता है क्योंकि भारत की तरफ यह तर्क दिया जाता है कि यह बंदरगाह चीन के बढ़ते प्रभुत्व का जवाब हो सकता है। बता दें कि पहली बार किसी भारतीय कंपनी को दूसरे देश में बंदरगाह प्रबंधन करने का मौका मिल रहा है। अभी यह ठेका 10 वर्षों का है लेकिन उसे आगे फिर बढ़ाया जा सकता है। यह भारत की सीमा के पास सबसे नजदीकी बंदरगाह भी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *