बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “एक सरकारी अधिकारी की व्यक्तिगत राय, पसंद और नापसंद किसी दूसरे पर नहीं थोपी जा सकती”
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को न्यूड पेंटिंग मामले (Nude painting case) में फैसला सुनाते हुए कस्टम विभाग को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने कहा, “ऐसी हर पेंटिंग को अश्लील नहीं कहा जा सकता… सेक्स और अश्लीलता में फर्क होता है।” इसी के साथ हाई कोर्ट ने कस्टम विभाग को मशहूर कलाकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की पेंटिंग्स को 14 दिन के अंदर रिलीज करने का निर्देश दिया। यह मामला अप्रैल 2023 का है जब मुंबई के कारोबारी मुस्तफा कराचीवाला के मालिकाना हक वाली फर्म बी के पोलीमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड लंदन से 7 पेंटिंग्स मुंबई लाई थी। कस्टम विभाग ने इन पेंटिंग्स को यह कहकर जब्त कर लिया था कि ये पेंटिंग्स न्यूडिटी को बढ़ावा दे रही हैं।
कस्टम विभाग की कार्रवाई को बाद मुस्तफा कराचीवाला की बी के पोलीमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट का रुख किया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने की।
बी के पोलीमेक्स इंडिया प्रा लि की तरफ से वकील श्रेयस श्रीवास्तव और श्रद्धा स्वरूप ने याचिका दायर की थी। याचिका में सवाल किया गया कि पेंटिंग को अश्लील कैसे माना जा सकता है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कला एक राष्ट्रीय खजाना है जिसे उचित मान्यता दी जानी चाहिए। कस्टम विभाग के अधिकारी कला के महत्व को समझने और कला और अश्लीलता के बीच अंतर करने में विफल रहे हैं।
“सरकारी अधिकारी व्यक्तिगत राय, पसंद और नापसंद किसी दूसरे पर नहीं थोप सकते”
सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि सहायक आयुक्त ने केवल इस फैक्ट पर ध्यान दिया कि पेंटिंग्स न्यूड थीं। हाई कोर्ट ने कहा कि हर कोई ऐसी पेंटिंग को स्वीकार करने, पसंद करने या उनका आनंद लेने के लिए बाध्य नहीं है। हर कोई ऐसी पेंटिंग को पसंद करे ये जरूरी भी नहीं है। लेकिन, एक सरकारी अधिकारी की व्यक्तिगत राय, पसंद और नापसंद किसी दूसरे पर थोपी नहीं जा सकती। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि उन्होंने (सहायक आयुक्त ने) न तो इस विषय पर किसी एक्सपर्ट की राय लेने की जहमत उठाई और न ही याचिकाकर्ता की तरफ से दी गई रिपोर्ट, विशेषज्ञों की राय और अन्य सामग्री पर गौर किया।