आजकल न केवल बच्चे और गरीब व्यक्ति बल्कि अमीर लोग भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। देखने में स्वस्थ लगने वाले अमीरों के इस कुपोषण को ही Hidden malnutrition कहते हैं।
पंकज गंगवार
जब भी कुपोषण की बात चलती है तो हमारा ध्यान छोटे बच्चों और किशोरों की तरफ जाता है या फिर गरीबों की ओर। आज हम एक ऐसी समस्या पर बात करेंगे जिस पर न तो सरकारों का ध्यान जा रहा है और ना ही आम लोगों का। हम लोग छोटे बच्चों को देखकर और उनका वजन लेकर कुपोषण का पता आसानी से लगा लेते हैं। गरीब लोगों के भी अस्थि-पंजर शरीर को देखकर भी हम समझ जाते हैं कि यह व्यक्ति कुपोषण का शिकार है। लेकिन, आजकल लोगों में एक ऐसा कुपोषण फैल रहा है जिसे देख कर पता लगा पाना असंभव-सा है क्योंकि व्यक्ति देखने में हृष्ट-पुष्ट होता है, उसका वजन सामान्य भी हो सकता है और आवश्कता से अधिक भी हो सकता है। चूंकि देखने में हृष्ट-पुष्ट होने के कारण उस व्यक्ति का स्वयं का और डॉक्टर का भी ध्यान उसके कुपोषण के प्रति नहीं जाता है इसलिए इसे छुपा हुआ कुपोषण ही कहेंगे। अंग्रेजी में इसे Hidden malnutrition कहते हैं। इसमें हमारा पेट तो भर रहा होता है लेकिन हम फिर भी कुपोषित होते हैं। इस कुपोषण के कारण व्यक्ति दिन प्रतिदिन गम्भीर बीमारियों की चपेट में आता जाता है। इन बीमारियों को हम कई नाम दे सकते हैं, इनके अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं पर अधिकतर के मूल में छुपा हुआ कुपोषण यानी Hidden malnutrition ही होता है।
समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब चिकित्सक लक्षणों को देख कर उन्हें दबाने के लिए एलोपैथिक ड्रग्स देने लगते हैं। मैं यहां एलोपैथिक ड्रग का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन चिकित्सकों के पास विकल्प भी सीमित हैं यह जानने के कि समस्या आखिर हो क्यों रही है। दूसरा, चिकित्सक पर तुरन्त परिणाम देने का दबाव भी होता है। मैं यहां एक उदाहरण दूंगा। मेरी एक परिचित अमीर परिवार की महिला को बुखार आ गया। डेढ़-दो महीने तक एक-एक कर शहर के कई नामी-गिरामी डॉक्टरों को दिखाया गया। सभी तरह के एंटीबायोटिक भी खिला दिए गए लेकिन बुखार वहीं का वहीं। आखिर में एक डॉक्टर ने उनका विटामिन डी का चेकअप करवाया जिसमें उनका विटामिन डी का स्तर समान्य से काफी कम निकला। यही उनके बुख़ार न जाने का कारण था। उनकी जैसी लाइफ स्टाइल थी उसमें विटामिन डी कम होनी ही थी क्योंकि धूप में तो गरीब निकलते हैं, अमीर भला क्यों निकलने लगे धूप में। मैंने तो सिर्फ एक उदाहरण दिया है, ऐसे कई कारण हमारी समस्याओं के हो सकते हैं जो अभी तक शायद चिकित्साशास्त्र में भी ज्ञात ना हों।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान नए-नए पोषक तत्वों की खोज कर रहा है। सामान्यता इनको सात श्रेणियों में बांट सकते हैं- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन मिनरल्स, वसा, फाइबर और पानी। इन सात श्रेणियों को माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत रखा गया है। मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत कार्बोहाइड्रेट, बसा, प्रोटीन, फाइबर और पानी आते हैं जबकि माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत मिनरल्स अर्थात खनिज तत्वों और विटामिनों को रखा गया है।
मिनरल्स अर्थात खनिज तत्व ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर में नहीं बनते। ये धरती में होते हैं और धरती से ही हमारे शरीर में हमारे भोजन के माध्यम से पहुंचते हैं। वैज्ञानिकों ने अब तक ऐसे 29 प्रकार के तत्वों का पता लगाया है जो हमारे शरीर की प्रक्रिया चलाने के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन्स ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स होते हैं जो हमारे शरीर की क्रिया प्रणाली को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं। वैज्ञानिकों ने अभी तक 13 प्रकार के विटामिन्स का पता लगाया है। यहां मैं इन सबके विस्तार में नहीं जाऊंगा अन्यथा यह आलेख बहुत लंबा हो जाएगा। यहां पर मैं बस यह बताना चाहूंगा इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी ही हमारे छुपे हुए कुपोषण (Hidden malnutrition) का कारण है। आज हम लोगों के भोजन में इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी खतरनाक स्तर तक कम हो गई है। ज्यादा घी-तेल वाले और डीप फ्राइ चीजों का सेवन, ताजे फल-सब्जियों के बजाय डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन, धूप से दूरी बनाए रखना, शारीरिक श्रम की कमी आदि समेत कई ऐसे कारण हैं जो हमें कुपोषण का शिकार बना देते हैं।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर इसका समाधान कैसे किया जाए। इसके दो ही समाधान है या तो ऑर्गेनिक विधि से उपजाए गए अनाजों, फलों, और सब्जियों का सेवन किया जाए या फिर इन पोषक तत्वों का अलग से सेवन किया जाए। ऑर्गेनिक विधि वह विधि होती है जिसमें खेत में किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और हार्मोन्स का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें प्राकृतिक खादों जैसे गोबर की खाद, फसल और सड़ीगली पत्तियों की खाद आदि का ही प्रयोग किया जाता है। इस विधि से उपजाए गए अनाजों और सब्जियों की लागत बहुत अधिक होती है जो एक आम भारतीय वहन नहीं कर सकता और जो लोग इसे वहन कर सकते हैं उनके लिए भी ये उत्पाद आसानी से हर जगह उपलब्ध नहीं हैं। अब ऐसे पोषक तत्व अलग से बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। न्यूट्री वर्ल्ड समेत कुछ कंपनियां इन्हें माइक्रोडाइट, आयरन फोलिक प्लस, कैल्शियम प्लस आदि के नाम से उपलब्ध करा रही हैं। अकेले माइक्रोडाइट में ही 20 से भी अधिक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं और इसकी एक गोली की कीमत एक बड़ी सिगरेट की कीमत से भी कम है। अब फैसला आपके हाथ है कि किसका चयन करना है।