गौरतलब है कि भारत में विकिपीडिया पर गलत और मानहानिकारक सामग्री के आरोप लगे हैं। इसके कारण विकीपीडिया कई कानूनी मामलों का सामना कर रहा है।
नई दिल्ली। ऑनलाइन एन्साइक्लोपीडिया कहा जाने वाला विकीपीडिया अपनी सामग्री को लेकर अक्सर विवादों में घिरा रहता है। उस पर अप्रमाणिक, आधी-अधूरी और एकतरफा जानकारी देने के आरोप लगते रहे हैं। विकीपीडिया अब भारत सरकार के निशाने पर है। सरकार ने उसको एक चिट्ठी (नोटिस) लिखकर पेज (वेबसाइट) पर दी जाने वाली जानकारी में पक्षपात और गलत तथ्यों को लेकर सवाल पूछे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से मंगलवार को लिखे गए इस पत्र में यह भी कहा गया है कि विकिपीडिया को सूचना देने वाले एक माध्यम की जगह प्रकाशक क्यों नहीं माना जाना चाहिए। पत्र में आगे कहा गया है, “ऐसा समझा जाता है कि एक छोटा समूह इसके पृष्ठों पर संपादकीय नियंत्रण रखता है।”
गौरतलब है कि भारत में विकिपीडिया पर गलत और मानहानिकारक सामग्री के आरोप लगे हैं। इसके कारण विकीपीडिया कई कानूनी मामलों का सामना कर रहा है। इसी साल अगस्त में दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया को ANI पेज पर कथित रूप से मानहानिकारक बदलाव करने वालों की पहचान उजागर करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर उसके आदेशों का पालन नहीं किया गया तो वह वेबसाइट को बंद कर देगी।
केंद्र सरकार का यह नोटिस सितंबर में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले के बाद आया जिसमें विकीपीडिया के खुले संपादन फीचर को खतरनाक करार दिया गया था। जजों ने इस फीचर पर चौंकते हुए कहा था कि इस तरह बेरोकटोक संपादन, खासकर कुछ लोगों और संस्थानों की संवेदनशील जानकारी के मामले में जोखिमभरा है। हालांकि, तब विकीपीडिया के कानूनी प्रतिनिधि ने कहा था कि यूजर्स को कुछ भी संपादित या अपडेट करते वक्त वेबसाइट के कानूनी दिशा-निर्देशों का ध्यान रखना होगा।
विकीपीडिया की नीति को लेकर ये हैं आरोप
विकीपीडिया को लेकर यह नोटिस ऐसे समय में जारी किया गया है, जब हाल ही में एक निजी संस्थान ने रिसर्च में बताया था कि विकीपीडिया को पूरी दुनिया में सिर्फ कुछ लोगों का एक छोटा समूह ही नियंत्रित करता है। इस डोजियर में आरोप लगाया गया कि सिर्फ कुछ ही लोगों के पास विकीपीडिया की क्या सामग्री रहेगी और क्या नहीं, इस पर नियंत्रण है। वे लोग ही संपादन को प्रतिबंधित करने, संपादकों को प्रतिबंधित करने, विवादों के निपटारे में, पेज को डिलीट करने में, पेज को लॉक करने आदि पर फैसला करता है।
डोजियर में आरोप लगाया गया है कि पूरी दुनिया में विकीपीडिया के सिर्फ 435 प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर्स) हैं जिनके पास यह सब करने की ताकत है। विकीपीडिया के कई संपादकों और एडमिनिस्ट्रेटर्स को विकीमीडिया फाउंडेशन को एडिटर रिटेंशन प्रोग्राम के तहत सक्रिय तौर पर भुगतान भी किया जाता है। उन्हें प्रोजेक्ट्स के लिए ग्रांट के नाम पर भी भुगतान होता है। ऐसे में माना जा सकता है कि विकीपीडिया एक प्रकाशक संस्थान है जिसमें सख्त संपादकीय नियंत्रण और नीति है और इसे सभी संपादकों और प्रशासकों को मानना होता है।
आरोप है कि विकीमीडिया फाउंडेशन की ऑनलाइन क्षेत्र में सर्च इंजन्स के साथ अच्छा मेलजोल है जिसकी वजह से विकीपीडिया उन पर जानकारी का एक अहम जरिया बन जाता है। इससे विकीपीडिया लोगों और अलग-अलग संस्थानों के बारे में तथ्यों का अहम जरिया बन जाता है। कई बार सार्वजनिक लोगों और संस्थानों के बारे में ऐसे पेज को लॉक कर दिया जाता है। यानी ऐसे पेज को सिर्फ चुनिंदा संपादक या प्रशासक ही संपादित कर सकते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पेज में पक्षपाती जानकारी को संपादित करे या सही जानकारी दे तो उन्हें धमकाया जाता है या उनके संपादन को हटा दिया जाता है। कई बार ऐसे संपादको को प्रशासकों या वरिष्ठ संपादकों की तरफ से ही हटा दिया जाता है। इसका नतीजा यह है कि जो भी झूठी और हानिकारक जानकारियां सर्च इंजन्स में दिखती हैं, वे कभी ठीक ही नहीं होतीं।
वित्तपोषण को लेकर उठे सवाल
विकीमीडिया फाउंडेशन को दुनियाभर में करोड़ों का दान और अनुदान मिलता है। रिसर्च रिपोर्ट में कई दानकर्ताओं के नामों का भी खुलासा किया गया है। इनमें कई बड़ी वैश्विक कंपनियों से लेकर गैर सरकारी संस्थानों और फंडिंग संस्थानों तक के नाम दिए गए हैं।
भारत सरकार को विकीपीडिया के खिलाफ दिए गए डोजियर में क्या है?
- विकमीडिया को मध्यस्थ के बजाय प्रकाशक घोषित किया जाए क्योंकि उसकी एक अलग संपादकीय नीति है। वह अपने संपादकों और प्रशासकों को भुगतान करता है और इनकी बहुत छोटी संख्या ही विकीपीडिया में संपादकीय नीति के अनुसार सामग्री का नियंत्रण करती है और उस पर फैसले करती है।
- चूंकि विकीमीडिया की भारत में कोई मौजूदगी नहीं है और वह फिर भी अपने व्यापारिक हितों के लिए भारत में करोड़ों खर्च करती है, इसलिए इसके वित्तीय लेनदेनों की जांच हो।
- विकीमीडिया को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के अंतर्गत लाया जाए।
- विकीपीडिया पेजों पर पक्षपाती जानकारी को बताने के लिए एक ब्राउजर एक्सटेंशन बनाया जाए। भारत सरकार को ऐसा ब्राउजर एक्सटेंशन बनाना चाहिए जो विकीपीडिया के लेखों में पक्षपाती जानकारी को पहचान सके। साथ ही गलत जानकारी और झूठी जानकारी के साथ फेक न्यूज के बारे में भी बता सके। खासकर भारत से जुड़ी जानकारी को लेकर।
कब बना था विकीपीडिया?
विकीपीडिया की शुरुआत 2000 के दशक में हुई थी। इसका उद्देश्य ज्ञान और जानकारी तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना था। पिछले दो दशकों में इसका काफी विकास हुआ है। आज विकिपीडिया के पास 300 से अधिक भाषाओं में 5.6 करोड़ से अधिक लेख हैं। इसकी लगभग 89 प्रतिशत सामग्री अंग्रेजी भाषा के अलावा अन्य भाषाओं में उपलब्ध है।