Gandaki Shaktipeeth: गण्डकी शक्तिपीठ ही वह स्थान है जहां माता सती के दक्षिण गण्ड (कपोल या गाल) का निपात हुआ था। यहां गण्डकी नदी (Gandaki River) में स्नान के बाद माता के दर्शन का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने वाला व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
नेपाल में पोखरा से डेढ़ सौ किलोमीटर से भी ज्यादा दूर गण्डकी नदी के तट पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ (Gandaki Shaktipeeth)। इस स्थान पर माता सती के दक्षिण गण्ड (कपोल या गाल) का निपात हुआ था। इसकी शक्ति है गण्डकी चण्डी और भैरव हैं चक्रपाणि। विष्णु पुराण में यह स्थान मुक्तिनाथ धाम (मन्दिर) (Muktinath Temple) के नाम से वर्णित है। यह मन्दिर पैगोड़ा शैली में निर्मित है।
मुक्तिनाथ शिव मन्दिर और देवी-शक्ति मन्दिर के लिए भी विख्यात है। गण्डकी नदी को नारायणी और शालिग्रामी भी कहा जाता है। इस पौराणिक नदी में विभिन्न आकार-प्रकार के शालिग्राम मिलते हैं। इस कारण इस क्षेत्र को “शालिग्राम क्षेत्र” (Shaligram kshetr) भी कहा जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको “मुक्ति क्षेत्र” (Mukti kshetr) के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है जहां लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्त होता है।
यहां गण्डकी नदी (Gandaki River) में स्नान के बाद माता के दर्शन का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने वाला व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
मुक्तिनाथ मन्दिर के बाहरी प्रांगण में बैलों के 108 मुख बने हुए हैं जिनके माध्यम से जल डाला जाता है। मन्दिर परिसर के चारों ओर 108 पाइपों में दिव्य जल प्रवाह 108 श्रीवैष्णव दिव्य देशम के पवित्र पाश्कारिणी जल को इंगित करता है।
गण्डकी शक्तिपीठ कब जायें और क्या–क्या साथ ले जायें (When to go to Gandaki Shaktipeeth and what to take with you)
गण्डकी शक्तिपीठ (Gandaki Shaktipeeth) उच्च हिमालयी क्षेत्र में है जहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है। इस कारण अप्रैल से सितम्बर तक का समय ही यात्रा के लिए उचित माना जाता है। श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े, कम्बल, पानी, टार्च, छाता, बरसाती, धूप का चश्मा, डॉक्टर द्वारा बतायी गयी दवाएं अवश्य ले जानी चाहिए। यहां अन्तिम कुछ किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करनी होती है, इसलिए साथ में छड़ी रखना न भूलें।
ऐसे पहुंचें गण्डकी शक्तिपीठ (How to reach Gandaki Shaktipeeth)
वायु मार्ग : नेपाल से बाहर के तीर्थयात्रियों को काठमाण्डू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए विमान पकड़ना होगा। यहां से पोखरा से करीब 151 किलोमीटर दूर स्थित जोमसम एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरनी होती है। जोमसम से मुक्तिनाथ मन्दिर के लिए जीप मिलती हैं।
सड़क मार्ग : गण्डकी शक्तिपीठ (Gandaki Shaktipeeth) की सबसे कठिन यात्रा जोमसम एयरपोर्ट के पास से शुरू होती है। जोमसम एयरपोर्ट पोखरा से करीब 151 जबकि काठमाण्डू से तकरीबन 354 किमी दूर है। आपके पास समय हो और पर्वतीय क्षेत्र के प्राकृतिक सौन्दर्य खासकर हिमालय के दुग्ध धवल शिखरों के दर्शन करना चाहते हों तो बस या कार लेकर काठमाण्डू से जोमसम के लिए निकल सकते हैं। दुर्गम पर्वतीय मार्ग होने के कारण इसमें आपके कम से कम दो दिन खर्च होंगे।