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GNSS : उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली को सबसे पहले कॉमर्शियल वाहन के लिए रोलआउट किया जाएगा। इसके बाद प्राइवेट कार, जीप और वैन के लिए चरणबद्ध तरीक से इस टेक्नोलॉजी को रोलआउट किया जाएगा। इस ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) को अगले दो साल में सभी टोल कलेक्शन पर लगा दिया जाएगा।

नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली (Satellite Based Electronic Toll Collection System) को लागू करने के लिए दुनिया भर से बोलियां (ईओआइ) आमंत्रित की हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित इस व्यवस्था से राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाहनों को निर्बाध टोल संग्रह अनुभव मिलेगा। एनएचएआई की इस पहल का मकसद राजमार्गों पर मौजूदा टोल बूथ प्रणाली को खत्म करना है। जाहिर है कि ऐसा होने पर Fastag की उपयोगिता भी खत्म हो जाएगी। उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली को सबसे पहले कॉमर्शियल वाहन के लिए रोलआउट किया जाएगा। इसके बाद प्राइवेट कार, जीप और वैन के लिए चरणबद्ध तरीक से इस टेक्नोलॉजी को रोलआउट किया जाएगा। इस ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) को अगले दो साल में सभी टोल कलेक्शन पर लगा दिया जाएगा। इससे टोल प्लाजा और फास्टैग का काम खत्म हो जाएगा। बयान के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों का इस्तेमाल करने वालों को बाधारहित टोल संग्रह अनुभव देने और टोल संचालन की दक्षता तथा पारदर्शिता बढ़ाने के लिए NHAI की कंपनी भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) ने भारत में जीएनएसएस (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली के विकास और उसे लागू करने के लिए योग्य कंपनियों से ईओआइ मंगाया है।

बयान में कहा गया है कि NHAI फिलहाल मौजूदा फास्टैग व्यवस्था के भीतर ही जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है। शुरुआत में एक मिश्रित माडल को अपनाने की योजना है जिसमें आरएफआइडी आधारित ईटीसी और जीएनएसएस आधारित ईटीसी, दोनों ही एक साथ काम करेंगे।

क्या होगा फायदा
नई टेक्नोलॉजी की वजह से टोल प्लाज पर लगने वाले जाम से झुटकारा मिलेगा। इस टेक्नोलॉजी में यूजर जितनी दूर सफर करेंगे, उसके हिसाब से भुगतान करना होगा। GNSS आधारित टोल सिस्टम बैरियर फ्री इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन होगा। इस टेक्नोलॉजी में वाहन के मूवमेंट को ट्रैक करके टोल लिया जाएगा कि आखिर उस वाहन ने कितने किलोमीटर सफर किया है।

हर टोल पर होंगी दो जीएनएसएस लेन (There will be two GNSS lanes at every toll)
हर टोल प्लाजा पर दो या उससे ज्यादा जीएनएसएस (GNSS) लेन होंगी। इन लेन में जीएनएसएस वाहनों की पहचान करने के लिए अग्रिम रीडर होंगे। जीएनएसएस लेन में प्रवेश करने वाले गैर-जीएनएसएस वाहनों से एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाएगा। जीएनएसएस बेस्ड टोलिंग सिस्टम को पहले तीन माह में 2,000 किलोमीटर नेशनल हाईवे पर लागू किया जाएगा। इसके बाद अगले 9 माह में 10,000 किमी तक बढ़ाया जाएगा जबकि 15 माह में 25,000 किमी टोल राजमार्ग और 50,000 किमी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

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