चाय : एक झाड़ी जो बन गयी “राष्ट्रीय पेय”
आपको आश्चर्य होगा कि आज से ढाई-तीन सौ साल पहले तक भारत में असम के कुछ हिस्सों को छोडकर चाय को कोई जानता तक नहीं था। हमारे प्राचीन ग्रंथ यहां…
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आपको आश्चर्य होगा कि आज से ढाई-तीन सौ साल पहले तक भारत में असम के कुछ हिस्सों को छोडकर चाय को कोई जानता तक नहीं था। हमारे प्राचीन ग्रंथ यहां…
आलू जहां गया, वहीं रच-बस गया। इसको चाहने वालों के लिए इसकी उत्पत्ति की जगह के कोई मायने नहीं हैं। यह सबका है और दुनियाभर में इसके दीवाने हैं। रेनू…
कभी नाउम्मीदी के श्मशान में बदल चुकी श्रमिक बस्तियों के अनगिनत होनहार सीए, एमबीए, डॉक्टर, इंजीनियर, सैन्य अधिकारी, शिक्षक बन इंसान की जिजीविषा का जयघोष कर रहे हैं। गजेन्द्र त्रिपाठी…
पत्रकारिता ऐसा क्षेत्र है जहां रोजाना नयी-नयी तरह की खबरें और चुनौतियां सामने होती हैं। हर घटना कुछ सबक दे जाती है, बशर्ते आपके आंख-कान खुले हों तथा दिमाग चौकन्ना,…