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कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरोपी कमरुद्दीन दस्तगीर सनदी को अपनी गर्लफ्रेंड से चीटिंग और आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी करार दिया था। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दर्शा सके कि आरोपी ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि ब्रेकअप या शादी का वादा तोड़ना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं हो सकता। हालांकि, ऐसे वादे टूटने पर व्यक्ति भावनात्मक रूप से परेशान (emotionally disturbed) हो सकता है। भावनात्मक रूप से परेशान होकर अगर वह आत्महत्या कर लेता है तो इसके लिए किसी दूसरे को दोषी नहीं माना जा सकता। (Breaking promise of marriage or breakup does not mean instigating suicide: Supreme Court)

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायधीश उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने शुक्रवार को यह कहते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले को बदल दिया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरोपी कमरुद्दीन दस्तगीर सनदी को अपनी गर्लफ्रेंड से चीटिंग और आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी करार दिया था।शीर्ष अदालत ने इस मामले को आपराधिक मामला (criminal case) न मानकर सामान्य संबंध विच्छेद (general break up) केस माना है। अदालत ने आरोपी की सजा को भी पलट दिया है। हालांकि, इससे पहले ट्रायल कोर्ट भी आरोपी को बरी कर चुका था।

 8 साल का रिश्ता टूटा, लड़की ने की खुदकुशी

युवती की मां की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक, उसकी 21 साल की बेटी 8 साल से आरोपी से प्यार करती थी। अगस्त 2007 में उसने आत्महत्या कर ली थी क्योंकि आरोपी ने शादी का वादा पूरा करने से मना कर दिया था.
आरोपी कमरुद्दीन दस्तगीर सनदी पर शुरू में आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 376 (बलात्कार) के तहत आरोप लगाए गए थे। हाई कोर्ट ने आरोपी को 5 साल की जेल और 25 हजार जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच की ओर से न्यायमूर्ति मिथल ने 17 पेज का फैसला लिखा। बेंच ने महिला की मौत से पहले के दो बयानों का विश्लेषण किया। इसमें कहा गया कि न तो कपल के बीच फिजिकल रिलेशन का कोई आरोप था, न ही आत्महत्या के लिए कोई जानबूझकर किया गया काम था। इसलिए फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि टूटे हुए रिश्ते भावनात्मक रूप से परेशान करने वाले होते हैं लेकिन इन्हें आपराधिक मामलों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यहां तक ​​कि वैसे मामलों में भी जहां पीड़िता क्रूरता के कारण आत्महत्या कर लेती है, अदालतों ने हमेशा माना है कि समाज में घरेलू जीवन में कलह और मतभेद काफी आम हैं। इस तरह के अपराध का होना काफी हद तक पीड़िता की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है।”

लंबे रिश्ते के बाद भी ब्रेकअप करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

फैसले में कहा गया है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दर्शा सके कि आरोपी ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लंबे रिश्ते के बाद भी शादी से इनकार करना उकसावे की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने कहा, “निश्चित रूप से, जब तक आरोपी का आपराधिक इरादा स्थापित नहीं हो जाता, तब तक उसे आईपीसली की धारा 306 के तहत दोषी ठहराना संभव नहीं है।”

 

 

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