Fri. Mar 14th, 2025
17 houses of christians were burnt in bangladesh.

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News Haveli, ढाका। (Anarchy in Bangladesh) बांग्लादेश में हिंदुओं के बाद अब ईसाई समुदाय मुस्लिम कट्टरपंथी नफरतियों के निशाने पर है। पिछले कई महीनों से अराजकता का शिकार इस देश में ठीक क्रिसमस (Christmas) के दिन ईसाई समुदाय (Christian community) पर अब तक का सबसे बड़ा हमला हुआ। घटना बंदरबन जिले के लामा/टोंगजिरी क्षेत्र की है जहां उपद्रवियों ने ईसाइयों के 17 घरों को आग के हवाले कर दिया (Christians houses burnt)। यह घटना 25 दिसंबर की सुबह हुई जब गांव के लोग क्रिसमस मनाने के लिए पड़ोसी गांव में प्रार्थना करने गए हुए थे। टोंगजिरी क्षेत्र के न्यू बेटाचरा पारा गांव में ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं। गांव में चर्च न होने की वजह से ये लोग क्रिसमस की प्रार्थना के लिए दूसरे गांव गए हुए थे। इसी दौरान उपद्रवियों गांव पर धावा बोलकर घरों में आग लगा दी।

मुस्लिम कट्टरपंथियों (muslim fundamentalists) के इस हमले में 19 में से 17 घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए। बांग्लादेशी अखबरा “ढाका ट्रिब्यून” की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में गांव के लोगों का 15 लाख टका से अधिक का नुकसान हुआ है।

गांव के लोगों ने बताया कि यह हमला अचानक नहीं हुआ। बीते 17 नवंबर को उपद्रवियों ने इन्हें गांव खाली करने की धमकी दी थी। गंगामणि त्रिपुरा नाम के व्यक्ति ने इस धमकी के खिलाफ लामा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में 15 लोगों का नाम शामिल था लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

क्रिसमस के दिन की गई आगतजनी के बाद अब गांव के सभी परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। पीड़ित गुंगामणि त्रिपुरा ने कहा, “हमारे घर पूरी तरह जलकर राख हो गए हैं। हमरा कुछ भी नहीं बचा पाया। अब हमारे पास सिर छिपाने के लिए भी जगह नहीं है।”

इस गांव में रहने वाले लोगों का दावा है कि वे कई पीढ़ियों से इस जगह पर रह रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ साल से उन्‍हें हटाने की कोशिश की जा रही है. कुछ लोगों ने दावा किया कि सरकार ने यह जमीन एक पुलिस अधिकारी पूर्व आईजीपी बेनजीर अहमद को पट्टे पर दे दी है। कहा जा रहा है कि उन्‍हीं का पहले यहां एसपी गार्डन हुआ करता था। लामा पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर मोहम्मद इनामुल हक भुइयां ने कहा कि शेख हसीना सरकार गिरने के बाद सुदूर इलाके में भूमि हड़पने की शिकायतें मिल रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कुछ समय से धमकियां मिल रही थीं। इसीलिए वे चर्च जाते समय गांव में किसी को भी नहीं छोड़ते थे।

पीड़ितों का आरोप है कि  इस घटना के बावजूद प्रशासन और पुलिस ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। पहले से धमकी मिलने और एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिससे लोगों में गुस्सा और डर दोनों बढ़ गए हैं। यह अराजकता और हिंसा की आग में सुलगते बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार का हिस्सा है। पहले जहां हिंदू समुदाय पर हमले हो रहे थे, वहीं अब ईसाई समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

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