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Bannerghatta Biological Park : दक्कन के पठारीय क्षेत्र में समुद्र की सतह से 900 मीटर की ऊंचाई पर बसा भारत का  पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र बंगलुरु और आसपास का इलाका जैव सम्पदा के मामले में भी देश के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है। इस जैव सम्पदा को थोड़े समय में ही देखना-समझना हो तो बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान की सैर की जा सकती है।

दीपिका टी. उपाध्याय

किसी भी सॉफ्टवेयर पेशेवर की तरह बंगलुरु मेरे लिए “सपनों का शहर” रहा है। अक्टूबर 2021 में यहां एक नयी कंपनी में काम शुरू किया तो मेरे लिए इसकी असल पहचान एक “साइबर सिटी” की ही थी। दो-तीन महीनों में ही समझ में आ गया कि दक्कन के पठारीय क्षेत्र में समुद्र की सतह से 900 मीटर की ऊंचाई पर बसा भारत का यह पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और आसपास का इलाका जैव सम्पदा के मामले में भी देश के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है। इस जैव सम्पदा को थोड़े समय में ही देखना-समझना हो तो बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) की सैर की जा सकती है।

डेनमार्क की रहने वाली दोस्त माइ व्यूम के साथ चर्चा हुई और 14 अप्रैल 2022 को हम दोनों यहां के लिए निकल पड़े। कोरमंगला से 16 किलोमीटर दूर स्थित इस जैविक उद्यान के लिए केम्पेगौडा और मैजेस्टिक बस स्टैंड से बस मिलती हैं पर हमने ऑटो से जाना तय किया ताकि यह पूरा सफर अपने हिसाब से कर सकें। बंगलुरु के ट्रैफिक से जूझते और जगह-जगह रुकते हुए यहां पहुंचने में हमें करीब एक घंटा लग गया।

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान का मेन गेट।
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान का मेन गेट।

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) की सैर करने के लिए कई तरह के पैकेज हैं- एसी बस जंगल सफारी, नन एसी बस जंगल सफारी, जीप सफारी, चिड़ियाघर और तितली पार्क। इसके अलावा लायन सफारी, टाइगर सफारी, हरबीवोर सफारी और बियर सफारी का आनन्द भी ले सकते हैं। हमने नन एसी बस जंगल सफारी और तितली पार्क का टिकट लिया। माइ व्यूम को अधिक रुपये चुकाने पड़े क्योंकि विदेशियों के लिए टिकट का मूल्य ज्यादा है।

बस चली और सब लोग कैमरे के साथ तैयार थे। सबसे पहले शाकाहारी जानवर दिखे। सबसे पहले निर्भय होकर घूमते हिरन दिखे, कुछ घास  चर रहे थे तो बाकी तालाब में पानी पी रहे थे। यहां ऐसे कई छोटे-बड़े तालाब हैं। आगे बढ़े तो हाथियों का झुण्ड नजर आया। आसपास कुछ गाय भी थीं। फिर हमें भालू दिखे। कुछ भालू लेटे हुए थे,शायद वे सो रहे थे।

दीपिका त्रिपाठी उपाध्याय और माइ व्यूम।
दीपिका त्रिपाठी उपाध्याय और माइ व्यूम।

यहां से कुछ आगे बढ़ने पर बस लोहे की जाली वाले एक बड़े गेट से गुजरी। यहां एक अलसायी शेरनी लेटी दिखी। शांतिभंग होने पर उसने हमारी ओर उपेक्षा भरी नजरों से देखा और फिर पसर गयी। हम आगे बढ़े। कुछ दूरी पर ड्राइवर ने बस रोक दी। उसने सबको चुप-चाप बैठे रहने का इशारा किया। तभी झाड़ियों में  कुछ हलचल हुई और एक बाघ दिखा। उसने हमारी तरफ देखा लेकिन हम जैसे पर्यटकों का यहां आना उसके लिए रोजमर्रा की बात थी। वह पलटा और घने पेड़ों के बीच गुम हो गया।

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हम फिर आगे बढ़े। अचानक जो नजर आया उसे देख बस में सवार कई सहयात्रियों के मुंह से “वाऊ…” निकला तो बाकी पर्यटक सांस रोके उस शानदार सफेद बाघ को निहार रहे थे। वह हमारी बस के काफ़ी क़रीब था। बस वहां काफ़ी देर खड़ी रही। उसने हमें वीडियोग्राफी करने का पूरा अवसर दिया और फिर पलट कर शाही अन्दाज में चल दिया। इसी के साथ हमारी सफ़ारी खतम हुई। बस से उतर कर हम तितली पार्क की ओर चल दिये।

बन्नेरघट्टा का तितली पार्क (Butterfly Park of Bannerghatta)

बटरफ्लाई पार्क, बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान।
बटरफ्लाई पार्क, बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान।

देश का पहला तितली पार्क वर्ष 2006 में बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) में स्थापित किया गया था। करीब 7.5 एकड़ में फैले इस पार्क में तितली संरक्षिका, संग्रहालय और एक ऑडियो-विजुअल कक्ष हैं। पॉली कार्बोनेट की छत वाली तितली संरक्षिका 1000 वर्गमीटर क्षेत्र में है। यहां तितलियों की 20 से अधिक प्रजातियां हैं। तितलियों को उनके अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए इसे इस तरह डिजायन किया गया हैजहां आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु है, कृत्रिम झरना है और तितलियों को आकर्षित करने वाली वनस्पतियां और फूल हैं।

तितली पार्क में प्रवेश करते ही लगा कि हम मानो किसी दूसरी दुनिया में आ गये हैं। यहां एक छोटा झरना है जिस पर पुल बना है। पुल पर खड़े होकर हमने पानी में मस्ती करती मछलियां और कछुए देखे। हर तरफ सुन्दर-सुन्दर फूल खिले थे जिन पर तरह-तरह की तितलियां मंडरा रही थीं। ऐसा  लग रहा था  जैसे पारियों की दुनिया में आ गये हों।

तितलियों की दुनिया से बाहर आकर मन बना कि चिड़ियाघर भी देख लिया जाये। यहां इलेक्ट्रिक गाड़ी से भी घूम सकते हैं लेकिन हमने पैदल चलने का निर्णय लिया। कुछ आगे बढ़े तो बंदर खेल रहे थे। जिराफ टहल रहा था। कुछ दूर दो ज़ेब्रा घूम रहे थे। और भी कई तरह के जानवर निर्भय होकर घूमते दिखे।

चिड़ियाघर में कैंटीन भी है। दोपहर ढलने को थी। हम काफी थक गये थे और तेज भूख लगी थी। हमने वापसी की सोची और चिड़ियाघर से निकल लिये। बाहर काफ़ी सारी दुकानें थीं। खाने के लिए बहुत सारे विकल्प थे। जैसे मैगी, चावल, नींबूपानी, नारियल पानी, आमलेटऔर पैकैज्ड फूड। हमने शहर जाकर लंच करने का निर्णय लिया। मेरी सहेली की वापसी की बस थी इसलिए वहां समय पर पहुंचना था। फिर ऑटो लेकर हम निकल गये।

 कब हुई थी बन्नेरघट्टा उद्यान की स्थापना (When was Bannerghatta Park established?)

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान।
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान।

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी। इसे 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। सन् 2002 में उद्यान के एक हिस्से को जैविक रिजर्व बना दिया गया जिसे आज बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान कहा जाता है। मार्च 2004 में एक शासनादेश जारी कर जू अथारिटी ऑफ कर्नाटक को इसकी प्रशानिक जिम्मेदारी सौंप दी गयी। यह उद्यान जंगली बिल्लियों, भारतीय तेंदुओं, बाघ, हाथियों आदि को एक सुरक्षित आवास प्रदान करता है। बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान भारत के सबसे समृद्ध प्राकृतिक प्राणि उद्यानों में शामिल है।

इस वजह से है चर्चा में बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Because of this Bannerghatta Biological Park is in discussion)

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान

लोगों को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान ने (Bannerghatta Biological Park) “एनिमल एडॉप्टेशन प्रोग्राम” शुरू किया है। इसके तहत नागरिकों को एक वर्ष के लिए उद्यान के वन्यजीव गोद दिये जाते हैं। इसके लिए उनको कुछ धनराशि चुकानी होती है। भारतीय कोबरा और एशियाई हाथी को गोद लेने के लिए प्रति वर्ष क्रमशः 2 हज़ार और 1.75 लाख रुपये देने पड़ते हैं। इस धनराशि पर आयकर अधिनियमकी धारा 80जी (दान से संबंधित) के तहत कर में छूट का प्रावधान है। यहां किंग कोबरा, जंगली बिल्ली, असमिया लंगूर, काला हिरन, सांभर, एशियाई हाथी आदि को गोद लेने की सुविधा है।

उद्यान के वन्य जीवों को गोद लेने को प्रोत्साहित करने के लिए उपहार देने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें उद्यान में निःशुल्क प्रवेश, प्रमाणपत्र,  तीन वर्ष तक उद्यान के महत्त्वपूर्ण सम्मलेनों में निःशुल्क प्रवेश आदि शामिल हैं।

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ऐसे पहुंचें बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (How to reach Bannerghatta Biological Park)

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान बंगलुरु मुख्य शहर से करीब 20 किमी है। बंगलुरु के केम्पेगौडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से उड़ाने हैं। बंगलुरु में यूं तो कई रेलवे स्टेशन हैं पर इनमें बंगलुरु सिटी जंक्शन और यशवंतपुर जंक्शन प्रमुख हैं। देश के लगभग सभी बड़े शहरों से बंगलुरु के लिए सीधी रेल सेवा है।

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान
बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान

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