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bahraich violence

याची अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सरकार ने बदले की भावना से संप्रदाय विशेष के खिलाफ कार्रवाई की है। इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बहराइच में हिंसा के आरोपियों के घरों पर ध्वस्तीकरण मामले में एक बड़ी खबर है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा मांगा गया जवाब दाखिल कर दिया है। सरकार ने बताया कि ध्वस्तीकरण का नोटिस वापस ले लिया गया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याची संस्था (एसोसिएटशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) से सवाल किया कि  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है? साथ ही याचिका दाखिल करने वाली संस्था का हलफनामा रिकॉर्ड में नहीं होने पर अगली सुनवाई 27 नवंबर 22024 तय कर दी।

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ में चल रही है।

याची अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सरकार ने बदले की भावना से संप्रदाय विशेष के खिलाफ कार्रवाई की है। इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। याची की तरफ से कहा गया कि मामले में कार्रवाई का नोटिस जारी करने के सक्षम अधिकारी जिलाधिकारी हैं जबकि नोटिस पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर की तरफ से भेजा गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय भी नहीं दिया गया है।

गौरचलब है कि एसोसिएटशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने बहराइच में हिंसा के कथित आरोपियों के घरों पर ध्वस्तीकरण के नोटिस के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी। 20 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था।

बहराइच के महराडगंज में बीते 13 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान रामगांव थाना क्षेत्र के रेहुआ मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। पुलिस मुख्य आरोपित समेत कई लोगों को जेल भेज चुकी है।

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