बाबर ने अपनी आत्मकथा में भी इस बाग का जिक्र किया है। उसने इस बाग में नदी की तरफ तहखाने में एक कमरा बनवाया था जो गर्मी के मौसम में भी बहुत ठंडा रहता था। गर्मियों के तपिश भरे दिनों में वह यहां आराम किया करता था।
पंकज गंगवार
जब भी आगरा जाता, फ्लाईओवर से गुजरते समय यमुना किनारे एक बड़ा-सा पार्क दिखता जिसके किनारे-किनारे लाल पत्थरों का पुराने जमाने का प्लेटफार्म, गुम्बद, कंगूरे आदि नजर आते। कामकाज की आपाधापी में चाहते हुए भी उनके बारे में मालूमात नहीं कर पाता था। एक बार कुछ फुर्सत मिलने पर लोगों से जानकारी ली तो पता चला कि यह रामबाग है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आगरा तो मुगलों की राजधानी रहा है, तो ऐसे में यहां पुराने जमाने का कोई रामबाग भी हो सकता है! फिर सोचा क्यों न अपनी जिज्ञासा का समाधान किया जाए। कुछ दिनों बाद एक कार्यक्रम के सिलसिले में फिर आगरा जाना हुआ। पार्टी रात को थी और दिन में फुर्सत थी तो सोचा रामबाग और उसके पास ही स्थित एत्माउद्दौला के मकबरे को देख लिया जाये।
रामबाग जाने पर पता चला कि यह दरअसल पहले मुगल बादशाह बाबर द्वारा बनवाया गया बाग-ए-गुल अफशां है जिसका अर्थ होता है “फूल बिखेरने वाला बाग”। इस बाग को बाबर ने अपनी जन्मभूमि की याद में बनवाया था। बाबर समरकन्द से यहां आया था। समरकन्द में पहाड़ियां थीं, झरने थे जबकि आगरा में तेज धूप-लू के साथ झुलसाने वाली गर्मी प़ड़ती है। ऐसे में बाबर ने सोचा क्यों ना समरकन्द की तरह यहां भी कुछ बनवाया जाये। इस तरह आगरा में भारत के पहले “मुगल गार्डन” की बुनियाद पड़ी। मुगल बादशाहों ने बहुत सारे बाग बनवाए- लाहौर में, कश्मीर में काबुल (अफगानिस्तान कभी भारत का ही हिस्सा था) में लेकिन बाग-ए-गुल अफशां पहला बाग था इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। बाबर ने अपनी आत्मकथा में भी इस बाग का जिक्र किया है। उसने इस बाग में नदी की तरफ तहखाने में एक कमरा बनवाया था जो गर्मी के मौसम में भी बहुत ठंडा रहता था। गर्मियों के तपिश भरे दिनों में वह यहां आराम किया करता था।
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बाबर के बाद उसके पड़पोते जहांगीर ने भी बाग-ए-गुल अफशां की ख़ूब देखभाल की और पुनर्निर्माण करवाया। बाद के दिनों में अंग्रेजों को भी यह बहुत पसंद आया। दरअसल, अंगेज भी समरकन्द जैसी ही ठंडी जगह के रहने वाले थे। इस बाग में आकर उन्हें भी आगरा की गर्मी से खासी राहत मिलती रही होगी। यह यमुना के किनारे है। इसके लिए यमुना से रहट द्वारा पानी खींचा जाता था। यह पानी नहर-झरनों की शक्ल लेता हुआ बाग के विभिन्न हिस्सों से गुजरता था। यहां मुगल बादशाह आराम करने आते थे और उसके बाद अंग्रेज भी इसका इसी तरह इस्तेमाल करने लगे तो यह बाग-ए-गुल अफशां से आरामबाग हो गया। गुजरते वक्त के साथ न मालूम कब इसके नाम के शुरुआत का आ गायब हो गया और शेष रह गया रामबाग। …और यह पहचान इसके साथ ऐसी चिपकी कि आज ज्यादातर आगरावासियों को भी नहीं मालूम कि उनका रामबाग कभी बाग-ए-गुल अफशां हुआ करता था।
किसी जमाने में मुगल बदशाह और बड़े ओहदेदार अपनी बेगमों के साथ यहां टहलने आते थे, आज यह नई उम्र के प्रेमी-प्रेमिकाओं का प्रिय ठिकाना है। यह आश्चर्यजनक ही है की करीब 600 साल गुजर जाने के बाद भी इस जगह का उपयोग वैसा ही हो रहा है, यानि प्रेम के इजहार के स्थान के रूप में। यह बात दूसरी है कि यह प्रेम न तो सीत-राम जैसा है, न राधा-कृष्ण जैसा और न कबीर की झीनी-झीनी बीनी चदरिया जैसा। खैर, प्रेम पर भी चर्चा फिर कभी।
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आजादी के बाद देश में पुरानी ऐतिहासिक इमारतों-बागों का जैसा हाल है, रामबाग भी उससे अछूता नहीं है। इसकी संरक्षण भी ठीक से नहीं हो रहा है। हालांकि इसमें प्रवेश करने के लिए रुपये वसूले जाते हैं, फिर भी उतनी देखभाल नहीं हो रही है जितनी की जा सकती है। भले ही यह ताजमहल की तरह प्रेम का एक बड़ा प्रतीक नहीं है और न ही कोई आध्यात्मिक या धार्मिक स्थल है, फिर भी यह हिन्दुस्तान के पहले मुगल बादशाह के अपनी जन्मभूमि के प्रति गहरे लगाव की निशानी तो है ही, एक ऐसी विरासत जो याद दिलाती है कि कैसे मध्य एशिया का एक आक्रमणकारी भारत को जीतने आया तो भारत का ही होकर रह गया और उसके द्वारा स्थापित व उसके वंशजों द्वारा विस्तारित मुगल साम्राज्य मौर्य, शुंग और गुप्त वंश की तरह भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ऐसे पहुंचें आगरा
सड़क मार्ग : दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा के परी चौक से शुरू होने वाले 165.5 किमी लम्बे यमुना एक्सप्रेस-वे ने दिल्ली से आगरा की यात्रा को बहुत आसान बना दिया है। लखनऊ, कानपुर, बरेली, ग्वालियर, जयपुर आदि से भी आगरा के लिए नियमित बस सेवाएं हैं।
रेल मार्ग : आगरा देश के सभी प्रमुख स्थानों से रेल सेवा से जुड़ा है। आगरा फ़ोर्ट और आगरा कैन्ट यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं।
वायु मार्ग : आगरा में खेरिया में सिविल एनक्लेव है जहां के लिए मुम्बई, अहमदाबाद, जयपुर आदि से उड़ानें हैं। दिल्ली का इन्दिरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट और ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन जेवर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट आगरा के पास स्थित दो बड़े एयरपोर्ट हैं।
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