भगवान केदारनाथ की यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए ओंकारेश्वर स्थित भैरवनाथ मंदिर में केदारनाथ के अग्रणी क्षेत्रपाल के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना की गई। ऊखीमठ में रविवार को देर सायं तक चली पूजा-अर्चना में भैरवनाथ की अष्टादश आरती उतारी गई।
ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग)। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर) में से एक केदारेश्वर यानि केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट शुक्रवार, 10 मई 2023 (वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया) को खुलेंगे। इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है। भगवान केदारनाथ (Kedarnath) की चल उत्सव विग्रह डोली ने आज सोमवार को अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। इससे पहले सुबह पूजा-अर्चना के बाद डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर सभा मंडप में विराजमान किया गया। इसके पश्चात हक हकूकधारियों की ओर से भगवान की चल उत्सवह विग्रह डोली का श्रृंगार किया गया। (Baba Kedar’s palanquin departs from Ukhimath, doors of Kedarnath Dham will open on May 10)
बाबा केदारनाथ (Kedarnath के शीतकालीन प्रवास स्थल (मंदिर) की तीन परिक्रमा कर डोली ने अपने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया। सोमवार को डोली गुप्तकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी। डोली इस बार सात मई को फाटा, आठ को गुप्तकाशी और नौ मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी जबकि 10 मई को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनाथ खोले जाएंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ (Kedarnath) की यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए ओंकारेश्वर स्थित भैरवनाथ मंदिर में केदारनाथ के अग्रणी क्षेत्रपाल के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना की गई। ऊखीमठ में रविवार को देर सायं तक चली पूजा-अर्चना में भैरवनाथ की अष्टादश आरती उतारी गई। भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग जी महाराज की मौजूदगी में धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिवं शंकर लिंग ने भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया। साथ ही पंचामृत अभिषेक, रुद्राभिषेक के बाद भैरवनाथ का श्रृंगार किया गया। बाल भोग के बाद भगवान भैरवनाथ को महाभोग लगाया गया।
बाल भोग के बाद भगवान भैरवनाथ को महाभोग लगाया गया। रावल भीमाशंकर लिंग की अगुवाई में पुजारी शिवशंकर लिंग, बागेश लिंग, गंगाधर लिंग, शिवलिंग ने अष्टादश आरती उतारी, जबकि मंदिर के वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी, आशाराम नौटियाल के वेद मंत्रोच्चारण के बीच सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया।