Sat. Oct 5th, 2024

Author: Gajendra Tripathi

राजगीर : तीन धर्मों की पावन भूमि

Rajgir: पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर (Rajgir) ब्रह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र तथा जैन धर्म के…

भोरमदेव मन्दिर : छत्तीसगढ़ का खजुराहो

Bhoramdev Temple : मैकल पर्वत समूह के बीच में भोरमदेव मन्दिर करीब पांच फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। मन्दिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है जिस…

Patnitop – पटनीटॉप नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

Patnitop : पटनीटॉप को पहले “पाटन दा तालाब” कहा जाता था जिसका अर्थ है “राजकुमारी का तालाब”। उधमपुर जिले में समुद्र तल से 2,024 मीटर की ऊंचाई पर बसे पटनीटॉप…

चौकोड़ी : ऐसी खूबसूरती और कहां!

Chaukodi: पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चौकोड़ी एक छोटा-सा पहाड़ी कस्बा है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए पर बेरीनाग से 10 किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से 2010 मीटर…

जिंजी किला : कई साम्राज्यों के उत्थान और पतन का गवाह

Jinji Fort को दुर्गम पहाड़ियों के बीच इस तरह बनाया गया है कि छत्रपति शिवाजी ने इसको भारत का सबसे “अभेद्य दुर्ग” कहा था। अंग्रेज इसे “पूरब का ट्रॉय” कहते…

इस साल पड़ेगी हाड़ कंपा देने वाली सर्दी, डरा रही IMD की भविष्याणी

सर्दी बहुत अधिक पड़ने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना के एक्टिव होने की संभावना। नई दिल्ली। यह मानसून की विदाई की वेला…

बंगलुरु का आसमान हुआ जादुई, 80 हजार साल बाद घट रही दुर्लभ खगोलीय घटना

वैज्ञानिकों की मानें तो धूमकेतु C/2023 A3 की वजह से ऐसा नजारा दिख रहा है जो हाल ही में धरती के करीब से गुजरा था। बंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु…

लेपाक्षी : हवा में झूलते खम्भे वाला मन्दिर

Lepakshi Temple : लेपाक्षी मंदिर के इष्टदेव भगवान शिव का क्रूर रूप वीरभद्र हैं। वीरभद्र महाराज दक्ष के यज्ञ के बाद अस्तित्व में आये थे। भले ही यह मन्दिर भगवान…

चित्रदुर्ग किला : वेदवती के तट पर स्वर्णिम इतिहास

Chitradurga Fort: हलेबिड से सवेरे छह बजे रवाना होने के बाद हम करीब साढ़े चार घण्टे में चित्रदुर्ग पहुंचे। यहीं की एक पर्वतीय घाटी में है चित्रदुर्ग किला। इसको “चित्त्तलदूर्ग”…

वाराणसी में साईं बाबा की प्रतिमाओं पर विवाद, 14 मंदिरों से हटाई गई मूर्ति

सनातन रक्षक दल का कहना है कि हिंदू मंदिरों में देवताओं के साथ किसी फकीर की मूर्ति का पूजन कर के भगवान का दर्जा दिए जाने का कोई औचित्य नहीं…