लखनऊ। (CBI court’s decision on CO Ziaul Haq murder case) प्रतापगढ़ के कुंडा में पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) जियाउल हक हत्याकांड मामले में बुधवार को सभी 10 दोषियों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही सभी दोषियों को सजा के साथ कुल एक लाख 95 हजार रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया जो जियाउल की पत्नी परवीन आजाद को दिया जाएगा। इस तरह प्रत्येक दोषी को 19 हजार पांच सौ रुपये भी भरने होंगे।
कचहरी परिसर में कड़ी सुरक्षा के बीच सीबीआई के विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र कुमार ने फूलचन्द्र यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, रामलखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पटेल को जियाउल हक हत्याकांड का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा के बाद अदालत ने सभी को जेल भेज दिया। इससे पहले पांच अक्टूबर को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था। एक अन्य आरोपी सुधीर को साक्ष्य के अभाव में चार अक्टूबर को बरी कर दिया गया था।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया था कि दो मार्च 2013 को शाम साढ़े सात बजे जमीन के एक पुराने विवाद के चलते प्रतापगढ़ के कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना की जानकारी मिलने पर नन्हे यादव के समर्थक बड़ी संख्या में उनके गांव पहुंच गए और उनके विरोधी कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया था। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस दल के साथ सीओ कुंडा जियाउल हक, तत्कालीन हथिगवां थाना प्रभारी मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा थाना प्रभारी सर्वेश मिश्र भी घटनास्थल पर पहुंचे थे। मौके पर उग्र भीड़ ने पुलिस को घेर लिया था। मौके पर सीओ ने भीड़ को समझाने का बहुत प्रयास किया परंतु उसी समय हुई झड़प में मृतक प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली लगने से मौत हो गई। भीड़ का उग्र प्रदर्शन देख कर मौके से पुलिस दल भाग गया।
उग्र भीड़ ने सीओ जियाउल हक को पकड़ लिया और उनकी पिटाई करने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी। मौके पर दोबारा पहुंचे पुलिस दल ने सीओ जियाउल हक को तलाश किया। रात लगभग 11 बजे जियाउल हक की लाश प्रधान के घर के पीछे मिली।
इस तिहरे हत्या कांड को लेकर कई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थीं। थाना प्रभारी हथिगवां मनोज शुक्ला ने पहली रिपोर्ट मृतक प्रधान नन्हे यादव के भाइयों और बेटे समेत 10 लोगों के खिलाफ दर्ज कराई थी। वहीं, प्रधान नन्हे यादव और सुरेश यादव की हत्या को लेकर भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने इस मामले में आखिरी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परवीन आजाद की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हे सिंह को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, सीबीआई ने जांच के बाद राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी। परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लीन सीट पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच हुई और 23 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने राजा भैया उनके साथियों को दोबारा क्लीन चिट दे दी।
तत्कालीन सरकार ने मामले की संगीनता को देखते हुए विवेचना पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी थी।