Sun. Feb 16th, 2025
bacteria and fungus testing

माइक्रोबायोलाजी जांच लखनऊ और मेरठ की प्रयोगशालाओं में शुरू की जाएगी। इसके बाद वाराणसी की प्रयोगशाला में इस जांच को शुरू किया जाएगा।

लखनऊ। मिलावट ऐसा घृषित काम है जो जीवन के आधार भोजन को जहर बना देता है, फिर भी लोग इस गंदी हरकत से बाज नहीं आते। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलावट की जांच के कानून को अत्यन्त सख्त करने के बाद अब खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और फंगस यानी फंफूद की जांच (Bacteria and Fungus Testing) कराने का भी फैसला किया है, ताकि खाद्य विषाक्तता (food poisoning) के कारणों का पता लगाया जा सके। मौजूदा व्यवस्था में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की प्रयोगशालाओं में केमिकल जांच (ChemicalTesting) में इसका पता नहीं चलता है। अब माइक्रोबायोलाजी जांच (Microbiology Testing) भी शुरू कर बैक्टीरिया और फंगस की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा।

माइक्रोबायोलाजी जांच लखनऊ और मेरठ की प्रयोगशालाओं में शुरू की जाएगी। इसके बाद वाराणसी की प्रयोगशाला में इस जांच को शुरू किया जाएगा। शुरुआत में डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों, डिब्बा बंद शिशु आहार, जंक फूड और बोतल बंद पानी की जांच की जाएगी। आगे इसका दायरा बढ़ाया जाएगा यानी दुकान में ही तैयार किए जाने वाले फास्ट फूड जैसे समोसा, पकौड़ी, मिठाई, मोमोज, चाऊमीन आदि की भी माइक्रोबायोलाजी जांच होगी।

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उत्तर प्रदेश में मिलवाटखोरी तथा खाद्य पदार्थों में फंगल और बैक्टीरिया मिलने की शिकायतों का एक लंबा इतिहास रहा है। कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से पकवानों को खाकर लोगों के बीमार होने की शिकायतें आम हो गई हैं। ताजा मामला बिजनौर का है जहां कुट्टू के आटे से तैयार फलाहारी भोजन करने के बाद बड़ी संख्या में लोग बीमार हो गए थे। इस आटे के काफी पुराना होने और उसमें बैक्टीरिया और फंगस पनपने की आशंका जताई गई थी। माइक्रोबायोलाजी जांच में खाद्य सामग्री में फंगस और बैक्टीरिया की मौजूदगी का आसानी से पता लगाया जा सकेगा।

लोगों की भोजन की आदतों में बदलाव होने के साथ ही डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं जंक फूड का सेवन करने से सेहत खराब होने की शिकायतें भी बढ़ी हैं। इनमें नमक और फैट की मात्रा मानक से अधिक पाए जाने की शिकायतें सामने आती रही हैं। हालांकि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने इसके लिए मानत तय किए हैं पर इनका मखौल उड़ता रहता है। कई मामलों में नमूने सही से न भरने की वजह से भी जांच के सही परिणाम नहीं आ पाते। एसके मद्देनजर खाद्य निरीक्षकों को जल्दा ही सैपल लेने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

 

 

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