साइबर गुलाम बनाए गए भारतीयों को मनी लॉन्ड्रिंग, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी और डेटिंग या लव स्कैम में धकेला जा रहा है।
नई दिल्ली। दक्षिण पूर्व एशिया में हजारों भारतीय “साइबर गुलाम” (Cyber Slave) के रूप में फंस गए हैं। भारत सरकार “साइबर गुलाम” (Cyber Ghulam) बनाए गए ऐसे भारतीय नागरिकों की पहचान कर रही है जो मनी लॉन्ड्रिंग और डेटिंग स्कैम जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल किए जा रहे हैं। इनमें करीब तीन हजार लोग उत्तर प्रदेश के हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे 2,946 लोगों की सूची वेरीफिकेशन के लिए उत्तर प्रदेश के साइबर मुख्यालय को भेजी है। ये लोग टूरिस्ट वीजा पर कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और लाओ पीडीआर गए लेकिन लौटे नहीं। वेरीफिकेशन के दौरान छह ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लोग “साइबर गुलामी” के शिकार हुए। इन लोगों ने केस भी दर्ज करवाए हैं।
अभी तक की जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार “साइबर गुलाम” बनाए गए लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी और ‘डेटिंग या लव स्कैम’ में धकेला जा रहा है। भारतीय आव्रजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 से मई 2024 तक इन देशों में यात्री वीजा पर गए 73,138 भारतीयों में से लगभग 30,000 अभी तक अपने देश वापस नहीं लौटे हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया के गिरोह भारत के विभिन्न राज् के लोगों को फंसाकर उन सोशल मीडिया अकाउंट्स का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिनमें अक्सर महिलाओं की फर्जी तस्वीरें इस्तेमाल की जाती हैं। इन अकाउंट्स के जरिए लोगों को पैसा निवेश करने के लिए धोखे से फंसाया जाता है। इस साल की शुरुआत में, भारतीय सरकार ने ऐसे ही कुछ फंसे हुए पुरुषों को बचाया था। इनमें से कई ने बताया कि एजेंटों ने उन्हें आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर इन देशों में भेजा, जहां पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिये गए।
फंसे हुए भारतीयों में ज्यादातर 20 से 30 वर्ष के युवा हैं, जिनमें से एक तिहाई से अधिक पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग वापस नहीं लौटे हैं, उनमें से लगभग 70% थाईलैंड गए थे। भारत वापस ना लौटने वालों में सबसे ज्यादा लोग पंजाब (3,667), महाराष्ट्र (3,233) और तमिलनाडु राज्य (3,124) से हैं।
इस गंभीर समस्या पर देश का ध्यान तब गया, जब पिछले साल ओडिशा पुलिस ने कंबोडिया से जुड़े एक साइबर अपराध सिंडिकेट पर कार्रवाई की थी। एनडीटीवी के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी ने इस साइबर धोखाधड़ी की जानकारी दी थी जिसके बाद कई लोगों को बचाया गया।
साइबर धोखाधड़ी की योजनाओं में फंसाए गए लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार ने एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल का उद्देश्य सिस्टम की खामियों की पहचान करना और फंसे हुए भारतीयों की सही जानकारी जुटाना है। दूरसंचार ऑपरेटरों को भी हांगकांग, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस और म्यांमार में भारतीय मोबाइल नंबरों की रोमिंग सेवाओं के डेटा साझा करने के निर्देश दिए गए हैं। दूरसंचार कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्पूफ्ड कॉल्स (international spoofed calls) को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि ये कॉल भारत में आने वाले कुल अंतरराष्ट्रीय संचार का 35% हिस्सा हैं।