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समुद्र की सतह से 3,048 मीटर की ऊंचाई पर तवांग (Tawang) चू घाटी में स्थित एक शान्त इलाका है जहां शानदार पहाड़ियां, मनमोहक घाटियां, साहसिक गतिविधियों के शौकीनों को चुनौती देने वाले दर्रे और नेचर ट्रेल, स्वच्छ नदियां, झरने, जलप्रपात तथा कई बौद्ध मठ हैं।

न्यूज हवेली नेटवर्क

 रुणाचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर में स्थित छोटा-सा शहर तवांग (Tawang) न केवल अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका रणनीतिक महत्व भी है। इसके उत्तर-पूर्व में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग जिला है। भारत-चीन सीमा यहां से मात्र 40 किलोमीटर दूर है।

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समुद्र की सतह से 3,048 मीटर की ऊंचाई पर तवांग (Tawang) चू घाटी में स्थित एक शान्त इलाका है जहां शानदार पहाड़ियां, मनमोहक घाटियां, साहसिक गतिविधियों के शौकीनों को चुनौती देने वाले दर्रे और नेचर ट्रेल, स्वच्छ नदियां, झरने, जलप्रपात तथा कई बौद्ध मठ हैं। सर्दी के मौसम में भारी हिमपात होने पर यह पूरा क्षेत्र बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है। इसकी खूबसूरती के चलते इसे अरुणाचल प्रदेश का अनमोल रत्न भी कहा जाता है। (Tawang: Precious gem of Arunachal Pradesh near China border)

कहां घूमें, क्या देखें

गोरिचेन चोटी :

गोरीचेन चोटी, तवांग
गोरीचेन चोटी, तवांग

तवांग (Tawang) और पश्चिम कामेंग जिलों के बीच मौजूद गोरिचेन पर्वत शिखर की ऊंचाई 6,900 मीटर है। पर्यटन विभाग के अनुसार यह अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी है जो सालभर बर्फ से ढकी रहती है। मुख्य शहर से 164 किमी की दूरी पर स्थित इस चोटी को स्थानीय लोग सा-न्गा-फु कहते हैं जिसका अर्थ होता है “देव का राज्य”। यहां पर ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के लिए सितम्बर-अक्टूबर सबसे अच्छा समय है जब मानसून की बारिश बन्द हो चुकी होती है और दृश्यता काफी अच्छी होती है।

सेला दर्रा : समुद्र की सतह से 4,170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सेला दर्रा (Sela Pass) दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर वाहन योग्य पर्वतीय दर्रों में से एक है। यह वह सड़क है जो तवांग(Tawang) को गुवाहाटी और दिरांग से जोड़ती है। यहां से आसपास के पहाड़ों और घाटियों के शानदार नजारे दिखते हैं। यहां की सेला झील को बौद्ध लोग अत्यन्त पवित्र मानते हैं।

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तवांग मठ : इस मठ को गोल्डन नामग्याल ल्हात्से के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ के तौर पर मान्यता दी गयी है, पहला मठ पोताला महल तिब्बत के ल्हासा में है। इसका मुख्य आकर्षण भगवान बुद्ध की 28 फीट ऊंची प्रतिमा और अत्यन्त सुन्दर तीन मंजिला सदन है। पहाड़ी पर होने के कारण इस मठ से पूरी तवांग घाटी के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं।

नूरनांग जलप्रपात : भारत के सबसे शानदार जलप्रपातों में से एक  नूरनांग  (Nurnang Falls) में जलधारा करीब 100 मीटर ऊंचाई से नीचे गिरती है। दुर्गम भौगोलिक स्थिति की वजह से यहां मानवीय हस्तक्षेप बहुत कम है और गिनेचुने पर्यटक ही पहुंचते हैं।

बादलों के बीच तवांग।
बादलों के बीच तवांग।

ऐसे पहुंचें तवांग

वायु मार्ग :  निकटतम हवाईअड्डा असम का तेजपुर यहां से करीब 325 किलोमीटर पड़ता है जहां के लिए कोलकाता और सिलचर से उड़ानें उपलब्ध हैं। ईटानगर का डोनी पोलो ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट यहां से करीब 428 किमी दूर हैं।

रेल मार्ग : तेजपुर का रंगापाड़ा नार्थ जंक्शन यहां से करीब 321 किलोमीटर दूर है। गुवाहाटी, पटना, लखनऊ दिल्ली आदि से यहां के लिए ट्रेन मिलती हैं।

सड़क मार्ग : असम और अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों से यहां के लिए बस, टैक्सी और कैब मिलती हैं।

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3 thought on “तवांग : चीन सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश का अनमोल रत्न”

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