शेख हसीना वाजेद क्या अब भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं? यह एक ऐसा सवाल है जिसे लेकर बांग्लादेश में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
ढाका। (Anarchy in Bangladesh) तख्तापलट के बाद भारत में शरण लेने वाली शेख हसीना वाजेद (Sheikh Hasina Wajed) क्या अब भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं? यह एक ऐसा सवाल है जिसे लेकर बांग्लादेश में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिससे पता चले कि 5 अगस्त (2024) को देश छोड़ने से पहले शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसी बात को लेकर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में कानून सलाहकार (मंत्री) आसिफ नजरूल (Asif Nazrul) ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन पर शेख हसीना के इस्तीफे को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। इन दावों-प्रतिदावों की बदहाली की ओर बढ़ रहे इस देश में काफी चर्चा है और लोग कह रहे हैं कि शेख हसीना ने इस्तीफा दिया ही नहीं था। शहाबुद्दीन के बयान के बाद यह चर्चा भी हो रही है कि क्या संवैधानिक रूप से अभी तक शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। इसी तरह की बात शेख हसीना के बेटे सजीब जॉय भी कह चुके हैं।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बांग्ला दैनिक मनाब जमीन के साथ साक्षात्कार में कहा, “मैंने सुना है कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच बांग्लादेश छोड़ने से पहले शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन इसका मेरे पास कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। मुझे कई कोशिशों के बावजूद इस्तीफे का दस्तावेज नहीं मिला। ऐसा भी हो सकता है कि उनको इस्तीफा देने का वक्त ही नहीं मिला हो।”
इस साक्षात्कार के सामने आने के बाद कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल ने मोहम्मद शहाबुद्दीन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति शहाबुद्दीन विरोधाभासी बात कर रहे हैं। नजरूल ने शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने कुछ घंटों बाद 5 अगस्त को राष्ट्र के नाम शहाबुद्दीन के संबोधन का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि शेख हसीना ने अपना त्यागपत्र मुझे सौंप दिया है और इसे स्वीकार कर लिया गया है। नजरूल ने कहा कि राष्ट्रपति अपने ही सार्वजनिक रूप से दिए गए बयान का खंडन कर रहे है तो इसे कदाचार ही कहा जाएगा। इससे राष्ट्रपति के रूप में पद पर बने रहने की उनकी क्षमता पर सवाल उठता है। सलाहकार परिषद बैठक में इस पर बात होगी कि क्या शहाबुद्दीन पद पर बने रहने के लिए सक्षम हैं।
राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने साक्षात्कार के दौरान 5 अगस्त की घटना को याद करते हुए कहा, “सुबह साढ़े दस बजे मुझे शेख हसीना के आवास से फोन आया जिसमें बताया गया कि वह उनसे मिलेंगी। एक घंटे बाद फिर कॉल आई जिसमें कहा गया कि वह नहीं आ रही है। इसके कुछ देर बाद मैंने सुना कि हसीना मुझे बताए बिना देश छोड़कर चली गई हैं।” शहाबुद्दीन ने आगे कहा कि हमें पता चला कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन शायद उसे हमें सूचित करने का समय नहीं मिला। कुछ दिन बाद कैबिनेट सचिव उनके इस्तीफे की कॉपी लेने आए तो मैंने उनसे कहा कि मैं भी इसकी तलाश कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि इस पर अब बहस करने का कोई मतलब नहीं है; हसीना जा चुकी हैं और यह सच है।
राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा, “हर जगह अशांति की खबरें थीं। मैंने अपने सैन्य सचिव जनरल आदिल (मेजर जनरल मोहम्मद आदिल चौधरी) से इस पर गौर करने के लिए कहा। उनके पास भी कोई जानकारी नहीं थी। हम इंतजार कर रहे थे और टीवी स्क्रॉल देख रहे थे। कोई खबर नहीं थी। एक समय, मैंने सुना कि वह (हसीना) मुझे बताए बिना देश छोड़कर चली गईं।”
शहाबुद्दीन की यह टिप्पणी कुछ समय पहले आए हसीना के बेटे सजीब जॉय के बयान का समर्थन करती है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी मां ने आधिकारिक तौर पर इस्तीफा नहीं दिया था। ऐसे में संविधान के हिसाब से वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
बहरहाल, , राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के बयान के बाद अब एक नया विवाद शुरू हो गया है क्योंकि वह कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस को शपथ भी दिला चुके हैं।