News Havel, नई दिल्ली। वन नेशन-वन इलेक्शन (One Nation-One Election) संबंधी दो विधेयकों के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (Joint parliamentary committee) की बुधवार को पहली हुई। इस बैठक में भाजपा सदस्यों ने इस अवधारणा की सराहना की जबकि विपक्षी सांसदों ने इस पर सवाल उठाए। कानून मंत्रालय की तरफ से जेपीसी (JPC) के सदस्यों को पढ़ने के लिए नीले सूटकेस में 18 हजार पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट दी गई। जेपीसी को अगले सत्र के आखिरी सप्ताह के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। भारत में आखिरी बार 1967 में वन नेशन-वन इलेक्शन फॉर्मेट के तहत चुनाव हुए थे।
कांग्रेस ने विधेयक को असंवैधानिक और लोकतांत्रिक ढांचे का उल्लंघन बताया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने विधेयक की आर्थिक व्यवहार्यता का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा, “यह कितना लागत प्रभावी होगा, कितने ईवीएम की जरूरत होगी?” बैठक के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने एक्स पर पोस्ट में भी उस सूटकेस के साथ अपनी फोटो शेयर की है जिसमें जेपीसी सदस्यों को पढ़ने के लिए रिपोर्ट दी गई है। उन्होंने फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, “वन नेशन-वन इलेक्शन की जेपीसी में हज़ारों पन्ने की रिपोर्ट मिली है। आज ON-OE (एक देश-एक चुनाव) की जेपीसी (JPC) की पहली मीटिंग हुई।”
कानून मंत्रायल के अधिकारियों ने दिया प्रजेंटेशन
विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने बैठक के दौरान प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर एक प्रजेंटेशन दिया। इसमें भारतीय विधि आयोग सहित विभिन्न निकायों द्वारा एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया गया। भाजपा सदस्यों ने एक देश-एक चुनाव प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि यह देश के हित में है। कांग्रेस के एक सदस्य ने कहा कि यह विचार संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है जबकि तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि यह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करता है।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (Joint parliamentary committee) में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, जेडीयू के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, आप के संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, पुरुषोत्तम रूपाला, मनीष तिवारी, बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा आदि शामिल हैं। इस समिति में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य हैं। सहित सभी प्रमुख दलों के सदस्य शामिल हैं।
बिल पर जेपीसी कर रही मंथन
वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए और समिति को भेजे गए हैं। इन पर अब बैठक कर चर्चा हो रही है। जेपीसी (JPC) का काम है इस पर व्यापक विचार-विमर्श करना, विभिन्न पक्षकारों और विशेषज्ञों से चर्चा करना और अपनी सिफारिशें सरकार को देना।
बिल पर इसलिए हो रही चर्चा
वन नेशन-वन इलेक्शन बिल भारत के संघीय ढांचे, संविधान के मूल ढांचे और लोकतंत्र के सिद्धांतों को लेकर बड़े पैमाने पर कानूनी और संवैधानिक बहस छेड़ चुका है। आलोचकों का कहना है कि राज्य विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ कराने से राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा और सत्ता के केंद्रीकरण की स्थिति बनेगी। विधि विशेषज्ञ यह भी देख रहे हैं कि क्या यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी विशेषताओं, जैसे संघीय ढांचा और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित करता है।
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