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1 जुलाई को जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया मुडा के भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं का संदेह है।

बंगलुरु। मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) जमीन घोटाला मामले में  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी थी। सिद्धारमैया ने भूमि आवंटन के संबंध में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामला दर्ज करने की राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुडा मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। हाई कोर्ट के ताजा फैसले के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुडा मामले में अब मुकदमा चलाया जा सकता है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा था कि वह इस बारे में विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं।

मुडा में कथित गड़बड़ी का मामला जुलाई के शुरुआत में सामने आया था। 1 जुलाई को आईएएस अधिकारी वेंकटचलपति आर. के नेतृत्व में जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया मुडा के भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं का संदेह है। इसमें कहा गया कि भूखंडों को पात्र लाभार्थियों को देने के बजाय, उन्हें प्रभावशाली लोगों और रियल एस्टेट एजेंटों को आवंटित किए जाने की शिकायतें मिली थीं।

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इसके बाद राज्य के शहरी विकास मंत्री ब्यारती सुरेश ने 1 जुलाई को मैसुरु (मैसूर) में एक बैठक की और मुडा आयुक्त दिनेश कुमार सहित चार अधिकारियों का तबादला कर दिया। राज्य में कथित घोटाले की खबरें सामने आने के बाद, कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने दावा किया कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को भी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक वैकल्पिक साइट दी गई।

ये है मुडा मामला

मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया।

आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिगृहीत की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसुरु के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन पार्वती के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।

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