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लोंगवा गांव (Longwa Village) में कोन्याक जनजाति (Konyak Tribe) रहती है जिसे बेहद खतरनाक माना जाता है। “हेडहण्टर” कही जाने वाली इस जनजाति के म्यांमार सीमा पर 27 गांव है। कबीले पर राज करने और जमीन पर कब्जे के लिए इस जानजाति के लोग अक्सर पड़ोसी गांवों से लड़ा करते थे।

न्यूज हवेली नेटवर्क

ऐसे समय में जब कई देशों के बीच जमीन और सीमा को लेकर तनातनी है, एक ऐसा गांव भी है जो दो देशों में फैला है। यह गांव है लोंगवा(Longwa)। इसका आधा हिस्सा भारत में है और बाकी म्यांमार में। नगालैण्ड की राजधानी कोहिमा से करीब 376 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में लोगों के खेत और घर भी दो देशों में पड़ते हैं। एक देश में घर के कमरे हैं तो दूसरे देश में रसोईघर। यहां के लोगों को दोहरी नागरिकता का लाभ मिलता है और वे दोनों देशों में स्वतंत्रतापूर्वक घूम सकते हैं। दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में जंगलों के बीच स्थित लोंगवा नगालैण्ड के मोन जिले में है। भारत और म्यांमार की सीमा इसके बीच से गुजरती है। यहां के तमाम लोग भारत और म्यांमार की सेना में काम करते हैं। (Longwa: Nagaland’s village spread across two countries)

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लोंगवा गांव (Longwa Village) में कोन्याक जनजाति (Konyak Tribe) रहती है जिसे बेहद खतरनाक माना जाता है। “हेडहण्टर” कही जाने वाली इस जनजाति के म्यांमार सीमा पर 27 गांव है। कबीले पर राज करने और जमीन पर कब्जे के लिए इस जानजाति के लोग अक्सर पड़ोसी गांवों से लड़ा करते थे। ये लोग शत्रु को मारकर उसकी खोपड़ी को काट लेते थे। इन खोपड़ियों को वीरता के प्रतीक को तौर पर घरों में सजाया जाता था। “सिर का शिकार” करने की इस परम्परा पर वर्ष 1940 में प्रतिबन्ध लगा दिया गया। गांव में कई घरों में अब भी पीतल मढ़ी खोपड़ियों के हार हैं जिसे वे गर्व के साथ सजाकर रखते हैं।

लोंगवा गांव
लोंगवा गांव

राजा की हैं 60 पत्नियां

लोंगवा (Longwa) में आजा भी “राजा” का शासन चलता है जिनका नाम वंशानुगत “द अंग” है। उनकी 60 पत्नियां हैं। कहा जाता है कि इस राजा या मुखिया का नगालैण्ड के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार के 70 से अधिक गांवों में प्रभाव है।

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प्रकृति ने फुर्सत में सजाया 

लोंगवा (Longwa) एक अत्यन्त सुन्दर गांव है। यहां के पहाड़ दुर्गम होते हुए भी काफी आकर्षक लगते हैं। यहां की हरियाली किसी का भी मन मोह सकती है। यहां घूमने योग्य कई स्थान हैं। जिनमें डोयांग नदी, शिलोई झील, नगालैण्ड साइन्स सेण्टर, हांगकांग मार्केट आदि शामिल हैं। किराये पर कार लेकर यहां घूमा जा सकता है।

ऐसे पहुंचें लोंगवा

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा दीमापुर एयर टर्मिनल यहां से करीब 298 किलोमीटर दूर है। कोहिमा में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट भी तैयार हो गया है।

रेल मार्ग : यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर है। दीमापुर जिले के ही शेखुवी में हाल ही में एक नये रेलवे स्टेशन का उद्घाटन हुआ है जो नगालैण्ड का दूसरा रेलवे स्टेशन है।

सड़क मार्ग : लोंगवा दीमापुर से करीब 300 और कोहिमा से 376 किमी दूर है। यह मोन शहर से करीब 42 किलोमीटर पड़ता है। पर्यटक नगालैण्ड परिवहन निगम की बसों से मोन तक पहुंचने के बाद लोंगवा के लिए टैक्सी ले सकते हैं।

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117 thought on “लोंगवा : नगालैण्ड का दो देशों में फैला गांव”
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