Goa: गोवा को रोम ऑफ द ईस्ट (Rome of the East) के नाम से भी जाना जाता है। हर साल करीब 50 लाख पर्यटक यहां आते हैं। गोवा का सबसे बड़ा आकर्षण यहां के समुद्र तट हैं। समन्दर से टकरा कर आती नम हवा के बीच इन पर घूमते वक्त ये कभी चांदी से चमकते लगते हैं तो तभी सोने के जैसे दमकते।
न्यूज हवेली नेटवर्क
दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से खुलने वाली गोवा एक्सप्रेस जब तक वास्को द गामा रेलवे स्टेशन नहीं पहुंची थी, गोवा (Goa) को लेकर की तरह-तरह के किंतु-परंतु दिमाग में घुमड़ रहे थे। दरअसल, गोवा के बारे में जो भी थोड़ी-बहुत जानकारी थी, वह सोशल मीडिया से मिली थी या हिन्दी फिल्मों से। इससे लगता था कि गोवा (Goa) बैंकाक जैसी कोई जगह होगी। लेकिन, ट्रेन से उतरते ही जब पोर्टर ने कोंकणी टोन की हिन्दी में सामान टैक्सी स्टैंड तक ले चलने के बारे में पूछा और स्टेशन व उसके बाहर भारतीय लिबास पहने लोग बहुतायत से दिखे तो अपनेपन का एहसास तारी हो गया। बाद के पांच दिनों में साफ हो गया कि गोवा के (Goa) रहन-सहन और खानपान पर पुर्तगाल का असर भले ही हो पर यहां के लोगों के लिए अपनी परम्पराएं ही महत्वपूर्ण हैं। यहां तक कि यहां के ईसाई समाज में भी बहुत-सी परम्पराएं और आचार-विचार हिन्दुओं की तरह ही हैं।
गोवा (Goa) को रोम ऑफ द ईस्ट (Rome of the East) के नाम से भी जाना जाता है। हर साल करीब 50 लाख पर्यटक यहां आते हैं। गोवा का सबसे बड़ा आकर्षण यहां के समुद्र तट हैं। समन्दर से टकरा कर आती नम हवा के बीच इन पर घूमते वक्त ये कभी चांदी से चमकते लगते हैं तो तभी सोने के जैसे दमकते। आसमान में बादल घिरे होने को दौरान, तो कभी सांझ के झुरमुटे में ये सुरमई एहसास भी कराते हैं।

गोवा (Goa) करीब 450 साल पुर्तगाल का उपनिवेश रहा है। इस कारण यहां के भवनों पर पुर्तगाली वास्तुकला की छाप स्पष्ट देखी जा सकती है। खासकर यहां के गिरजाघऱों की विशालता और भव्यता देखते ही बनती है। गोवा के दक्षिणी भाग में हिन्दू वस्तुशास्त्र का प्रभाव अधिक है।
गोवा (Goa) की संस्कृति काफी प्राचीन है। करीब एक हजार साल पहले गोवा को कोंकण काशी (Konkan Kashi) के नाम से जाना जाता था। हालांकि पुर्तगाली शासकों ने यहां की संस्कृति का नामोनिशान मिटाने के हर संभव प्रयास किये लेकिन यहां की मूल संस्कृति इतनी समृद्ध है कि उनकी चालें सफल नहीं हो पायीं।
गोवा (Goa) की मुख्य भाषा कोंकणी है जिसकी लिपि देवनागरी है। कोंकणी आर्य भाषा परिवार से सम्बन्धित है और मराठी के काफी करीब है। हिन्दी भी यहां की आधिकारिक भाषा है। यहां पुर्तगाली और इंग्लिश भी बोली जाती है।
गोवा का मौसम (Goa weather)
मौसम के लिहाज से गोवा (Goa) को तीन भागों में बांटा जा सकता है- गर्मी, मानसून और सर्दी। इन तीनों सीजन में यहां का तापमान और वातावरण एकदम अलग होता है। गोवा में मार्च से ही गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है जो मई के अंत तक चलता है। यहां धूप बहुत तेज होती है, इस कारण समुद्र तट पर बहुत कम लोग पहुंचते हैं। यह गोवा में पर्यटन के लिहाज से ऑफ सीजन होता है। हालंकि जो लोग कम बजट में गोवा की सैर करना चाहते हैं, उनके लिए यह सबसे अच्छा समय है।
गोवा में मई के तीसरे सप्ताह से छिटपुट बारिश शुरू हो जाती है। जून से अक्टूबर तक यहां जमकर बारिश होती है। इस दौरान समुद्र तटों के नीले आसमान को काले बादल घेर लेते हैं। मानसून सीजन में गोवा का माहौल एकदम अलग होता है। इस दौरान यहां कई उत्सव भी होते हैं। सितम्बर और अक्टूबर में भी काफी कम किराये पर होटल मिल जाते हैं। हवाई टिकट भी काफी सस्ते हो जाते हैं। हालांकि मानसून सीजन में गोवा में अधिकतर वाटर एक्टिविटी बंद रहती हैं जो यहां का मुख्य आकर्षण हैं।
गोवा (Goa) में विंटर सीजन नवम्बर से फरवरी तक होता है। ट्रॉपिकल इलाका होने के कारण यहां ज्यादा सर्दी नहीं पड़ती है और तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है। यहां घूमने के लिहाज से यह सबसे अच्छा समय होता है। मानसून खत्म हो चुका होता है और उमस बिल्कुल भी नहीं होती। दिसम्बर में यहां नया साल और क्रिसमस मनाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है। इस सीजन में ही सनबर्न फेस्टिवल होता है। वाटर एक्टिविटी का आनन्द उठाने के लिए विंटर सीजन सबसे बेहतर है। अगर आप इस सीजन में गोवा जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो पहले से फ्लाइटऔर होटल की बुकिंग करा लें।
गोवा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major tourist places of Goa)
समुद्र तट:

केरल के बाद गोवा (Goa) ही वह राज्य है जहां सबसे ज्यादा सुन्दर समुद्र तट (बीच) हैं। यह बहुत छोटा राज्य है लेकिन मनभावन समुद्र तटों की लम्बी कतार है। यहां करीब 40 बीच हैं। कलंगुट बीच राजधानी पणजी से 16 किलोमीटर दूर है। पास में ही बागा बीच है। जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला (डोना पौला) बीच भी बहुत प्रसिद्ध है। मानसूनी मौसम में कोलवा के सौन्दर्य पूरे निखार पर होता है। विदेशी पर्यटकों के बीच अन्जुना समुद्र तट काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा बागाटोर बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच, कालवा बीच, मीरामर बीच, अरम्बोल बीच, अन्गोदा बीच प्रमुख हैं।
मन्दिर :

गोवा (Goa) की करीब 60 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है। यह राज्य सनातन परम्परा का बड़ा केन्द्र रहा है। यहां कई भव्य मन्दिर हैं। इनमें श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, मंगसी मन्दिर, परनेम का भगवती मन्दिर और महालक्ष्मी मन्दिर प्रमुख हैं।
गिरजाघर :

गोवा में करीब साढ़े चार शताब्दी तक पुर्तगाली शासन रहा है। यहां की 28 प्रतिशत आबादी ईसाई है। इसके चलते यहां कई बड़े गिरजाघर बनवाये गये जिन पर यूरोपीय स्थापत्य कला का प्रभाव साफ नजर आता है। गोवा के प्रमुख गिरजाघर हैं- से कैथेड्रल ऑफ गोवा, बोम जीसस बेसिलिका, रैचौल सेमिनरी एंड चर्च, चर्च ऑफ ऑवर लेडी और सेंट काटेजॉन चर्च।
दूधसागर जलप्रपात : यह जलप्रपात भगवान महावीर अभयारण्य और मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के बीच कर्नाटक और गोवा की सीमा पर है। गर्मी के सीजन में इस जलप्रपात में बहुत ही कम पानी होता है। इसके विपरीत मानसून के मौसम में यह अपने पूरे यौवन पर होता है। इस दौरान चार स्तरों वाले इस जलप्रपात से गिरता पानी दूध के फेन की तरह नजर आता है जिसके चलते इसका नाम दूधसागर पड़ा है। दूधसागर जलप्रपात भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है जिसकी ऊंचाई 310 मीटर और औसत चौड़ाई 30 मीटर है। यह सड़क मार्ग से पणजी से 60 किलोमीटर पड़ता है।
अगुआडा किलाः

इस किले का निर्माण पुर्तगालियों द्वारा 17वीं शताब्दी में कराया गया था। पुर्तगाली वास्तुकला पर आधारित इस किले में हर मौसम में घूमा जा सकता है। न केवल यह किला अत्यंत सुन्दर है बल्कि यहां से आसपास का नजारा भी बहुत दिलकश लगता है।
चापोरा किला : उत्तरी गोवा मेंवागाटोर समुद्र तट के करीब चापोरा किले का निर्माण सन् 1717 में कराया गया था। बॉलीवुड की सुरहिट फिल्म “दिल चाहता है” की शूटिंग यहीं हुई थी। यह किला चापोरा नदी के तट पर स्थित है।
सैटर्डे नाईट मार्केट: उत्तरी गोवा के अरपोरा का सैटर्डे नाइट मार्केट गोवा में खरीददारी करने के लिए सबसे अच्छी जगह मानी जाती है।यहां गोवा के स्थानीय-परम्परागत हस्तशिल्प उत्पाद जैसे कपड़े, मालाएं, जूते, बैग, चमड़े का सामान, सजावटी लैम्प आदि खरीदे जा सकते हैं।
नेवेल एविएशन म्यूजियम : वास्को द गामा में बोगमालो रोड पर स्थित नेवल एविएशन म्यूजियम एशिया के प्रमुख संग्रहालयों में शामिल है। यहां कई तरह के एयरक्राफ़्ट, रॉकेट, बम, पैराशूट, पायलट की पोशाक आदि देखने को मिलेंगी।
चोराओ द्वीपः

गोवा (Goa) को आमतौर पर उसके विशाल और भव्य समुद्र तटों के लिए जाना जाता है लेकिन यहां का चोराओ द्वीप भी प्रसिद्ध है। यह द्वीप उत्तर गोवा में मन्डोवी नदी में है। संस्कृत में इसका अर्थ है शानदार कीमती पत्थर। यह द्वीप कुछ दुर्लभ पेड़-पौधे और पक्षियों के लिए भी लोकप्रिय है। यहां पक्षी विहार भी है जिसमें विभिन्न प्रकार के पक्षी कलरव करते देखे जा सकते हैं।
गोवा का खानपान (Goan food)

गोवा का खानपान मुख्यतः समुद्री उत्पादों पर आधारित है। यहां समय-समय पर अलग-अलग धर्म-सम्प्रदाय के लोगों का शासन रहा जिसका प्रभाव भी स्थानीय भोजन पर बहुत गहरा है। पुर्तगाल के अधीन रहने की वजह से यहां के भोजन पर यूरोपीय पाककाल का भी असर है। दरअसल गोवा के भोजन में आलू, टमाटर, अनानास और काजू का इस्तेमाल पुर्तगालियों के आने के बाद ही शुरू हुआ। यहां के भोजन में पोम्फर्ट, शार्क, ट्यूना, मैकेरल आदि मछलियों, केकड़ा, शंख और झींगा तथा पोर्क और बीफ का जमकर इस्तेमाल होता है। ऐसे में शाकाहारी लोग भोजन का आर्डर देने से पहले उसका शाकाहारी या मांसाहारी होना सुनिश्चित कर लें।

पोर्क विंडालू , क्रैब, प्रान बावचाओ, कोरिस पाऊ, चोरिज, किंगफिशर, केफरील, साना, गोअन रेड राइस, पोई और बेंबिका गोवा के लोकप्रिय और प्रसिद्ध भोजन हैं। शराब के शौकीनों के लिए गोवा की फेनी वाइन एक नायाब तोहफे की तरह है। इसको काजू से तैयार किया जाता है। इसके अलावा फेनी भी बनाई जाती है जिसे नारियल के पेड़ से निकलने वाली ताड़ी से तैयार किया जाता है।
ऐसे पहुंचें गोवा (How to reach Goa)

हवाई मार्ग : डैबोलिम एयरपोर्ट से देश के सभी प्रमुख हवाईअड्डों के लिए उडानें हैं। पणजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कुछ नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं।
सड़क मार्ग : मुम्बई और बंगलुरु से गोवा के लिए शानदार राजमार्ग हैं जिन पर सरकारी और निजी बस सेवाएं हैं। लक्जरी बसें भी उपलब्ध हैं। टैक्सी और कैब भी चलती हैं।
रेल मार्ग : कोंकण रेलवे गोवा के साथ ही भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र के लिए लाइफ लाइन की तरह है। कोंकण रेलवे के अस्तित्व में आने के बाद गोवा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ गया है। वास्को द गामा यहां का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। मडगांव भी बड़ा रेलवे स्टेशन है।
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