उमर खालिद जेएनयू कैंपस में आयोजित उस समारोह में भी शामिल हुआ था जिसमें आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी पर मातम मनाया गया था।
नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश से जुड़े मामले में आरोपी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उसको 7 दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। इससे पहले भी उमर खालिद जमानत की याचिका दायर कर चुका है। उमर खालिद को मौसेरी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 28 दिसंबर 2024 से 3 जनवरी 2025 की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी गई है। उसको 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने उमर खालिद को दो शर्तों पर अंतरिम जमानत दी है। पहली यह है कि वह सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से ही मिल सकेगा। दूसरी शर्त के अनुसार वह अपने घर या उन जगहों पर ही रहेगा जहां शादी हो रही है। वर्ष 2022 के अक्तूबर में अदालत ने उमर खालिद को जमानत देने से मना कर दिया था। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पर बाद में अपनी एसएलपी वापस ली। उसने ट्रायल कोर्ट में दूसरी नियमित जमानत याचिका दायर की जिसे इस साल की शुरुआत में खारिज कर दिया गया।
कौन है उमर खालिद?
लगभग तीन दशक पहले उमर खालिद का परिवार महाराष्ट्र के अमरावती के तालेगांव से दिल्ली आकर बस गया था। यह परिवार जाकिरनगर में रहता है। हालांकि किसी ने उमर खालिद को यहां शायद ही कभी देखा होगा। ऐसा बताया जाता है उसके पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में ही ऊर्दू की मैगजिन “अफकार-ए-मिल्ली” चलाते हैं। खालिद जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी कर रहा है। उसने यहीं से इतिहास में एमए और एमफिल किया है।
खालिद जिस डीएसयू संगठन से जुड़ा है, उसे सीपीआई माओवादी समर्थित छात्र संगठन माना जाता है। 9 फरवरी को देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगने के बाद वह अचानक गायब हो गया था। उसे पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की थी। बाद में खबरें आई थीं कि उसका संबंध आतंकवादी संगठन से है। ऐसी भी खबरें सामने आई थीं कि उमर खालिद कई विश्वविद्यालयों में आतंकी अफजल गुरु का गुणगान करवाना चाहता था। उसने देश के 18 विश्वविद्यालयों में जेएनयू जैसा कार्यक्रम करने की योजना बनाई थी।
पहले भी रहा है विवादों में
जेएनयू के छात्र-छात्राओं के अनुसार उमर खालिद ने अपने साथियों के साथ जेएनयू कैंपस में हिंदू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत फैलाने की कोशिश की थी। वह उस समारोह में भी शामिल था जिसमें आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी पर जेएनयू कैंपस में मातम मनाया गया था। उमर खालिद इससे पहले कई मौकों पर कश्मीर की आजादी की मांग को उठाता रहा था। 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जब सीआरपीएफ जवानों की हत्या हुई थी तो उसपर जश्न मनाने वाले लोगों में वह भी शामिल था। हालांकि इस मामले पर उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
26 जनवरी, 2015 को इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल के बहाने कश्मीर को अलग देश दिखाकर उसका स्टॉल लगाया गया। जब नवरात्रि के दौरान पूरा देश देवी दुर्गा की आराधना कर रहा था, उसी समय जेएनयू में दुर्गा का अपमान करने वाले पर्चे, पोस्टर जारी करके ना केवल अशांति फैलाई गई बल्कि महिषासुर को महिमामंडित कर महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया गया। इन कई आयोजनों से उमर खालिद पहले भी सवालों के घेरे में आ चुके हैं।