Tue. Mar 25th, 2025
shri gangaji maharani temple located in katghar locality of bareilly.

लक्ष्मण सिंह के वंशज राकेश सिंह ने बताया कि उनके पूर्वजों ने कटघर मुहल्ले में करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले मंदिर बनवाया था। बाद में इस पर अपने आप को सहकारी समित का चौकीदार बताने वाले व्यक्ति ने कब्जा कर लिया।

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बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली के किला थाना क्षेत्र में स्थित कटघर मोहल्ले में श्री गंगाजी महारानी मंदिर समिति के दावे वाली जमीन पर बना भवन शुक्रवार सुबह पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में खाली करा दिया गया। दौली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति का बोर्ड लगाकर कथित चौकीदार वाजिद अली के परिवार का कब्जा यहां बना हुआ था। समिति के सचिव के नोटिस के गुरुवार को चस्पा किए जाने के बाद शुक्रवार को सुबह से यहां सामान हटवाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई।

सामान निकाले जाने की सूचना पर मौके पर भीड़ जुट  गई। ऐसे में सुरक्षा के लिए मौके पर पुलिस लगानी पड़ी। टीम ने भवन से सामान हटवाने की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई है जिससे आगे कोई विवाद न हो।

इससे पहले गुरुवार को जिलाधिकारी के आदेश पर उप जिलाधकारी सदर ने परिसर के स्वामित्व की जांच शुरू कर दी थी। परिसर में रह रहे वाजिद अली के परिवार को सात दिन का समय भवन खाली करने के लिए दिया गया था। जिला प्रशासन ने उपनिबंधक सहकारिता को भी इसे सुनिश्चित करने के लिए कहा था। उपनिबंधक सहकारिता ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौके पर रहने वाला वाजिद अली उनका कर्मचारी नहीं है।

जिला प्रशासन के जांच अधिकारी गोविंद मौर्य का कहना है कि कुछ दस्तावेज भी मिल गए हैं। जल्दी ही स्वामित्व पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। भवन के ऊपर लगे दौली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति का बोर्ड भी पुलिस ने हटवा दिया है। समिति यहां से 2020 में ही अपना गोदाम शिफ्ट कर चुकी है।

भवन को खाली कराने के बीच किसी व्यक्ति ने उसके ऊपर हनुमानजी की तस्वीर वाला भगवा झंडा लगा दिया। दावा है कि जल्दी ही मंदिर परिसर का शुद्धिकरण किया जाएगा।

क्या था मामला ?

कटघर में लक्ष्मण सिंह के वंशज राकेश सिंह ने बताया कि उनके पूर्वजों ने कटघर मुहल्ले में करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले मंदिर बनवाया था। 1905 में लक्ष्मण सिंह ने गंगा महारानी ट्रस्ट के नाम से रजिस्ट्री कर दी। मंदिर में गंगा महारानी की अष्टधातु की मूर्ति एवं सफेद रंग के शिवलिंग की स्थापना हुई थी और क्षेत्र के लोग यहां पूजा करने आते थे। 1956 में साधन सहकारी समिति की आवश्यकता पर पूर्वजों ने मंदिर भवन परिसर के दो कमरे किराए पर दे दिए थे। शेष हिस्से में पूजा-पाठ होता था। उसमें सहकारी समिति का गोदाम चल रहा था। 1975-76 में वाजिद अली खुद को सहकारी समिति का चौकीदार बताकर भवन की देखरेख करने लगा। इसके तीन वर्ष बाद समिति कार्यालय दूसरे गांव में शिफ्ट हो गया परंतु वाजिद अली दोनों कमरों पर काबिज रहा, समिति का बोर्ड भी नहीं हटाया। आरोप है कि धीरे-धीरे मुहल्ले में मुस्लिम आबादी बढ़ने लगी तो वाजिद हनक दिखाने लगा। उसने मंदिर की मूर्तियां हटाकर 250 वर्ग मीटर के पूरे भवन पर कब्जा कर लिया। उन लोगों को 40 साल से यहां घुसने नहीं दिया गया है। मंदिर में रखी गंगा महारानी की चांदी की चरण पादुका, दूधिया शिवलिंग और शिव परिवार को मंदिर हटा दिया गया है। मंदिर के बाहर दो कुएं थे जिनको पाट दिया गया।

सहकारिता विभाग में सचिव विकास कुमार ने गुरुवार को बताया था कि जब से उन्हें समिति का चार्ज मिला है, उन्होंने चौकीदार को अमान्य करार कर दिया है। वाजिद से पूर्व में भी कई बार कोई भी निर्माण नहीं करने की बात कही गई थी लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।

 

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