संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा का मामला अभी थमा भी नहीं था कि अब उत्तर प्रदेश के ही बदायूं में एक नया विवाद शुरू हो गया है।
लखनऊ। (Badaun’s Shamsi Jama Masjid claims to be Neelkanth Mahadev Temple) उत्तर प्रदेश के संभल जिले में गत 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा का मामला अभी थमा भी नहीं था कि अब उत्तर प्रदेश के ही बदायूं में एक नया विवाद शुरू हो गया है। मामला बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद का है। हिंदू पक्ष ने यहां नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है। यह मामला बदायूं के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार की अदालत में विचाराधीन है। वादी मुकेश पटेल ने जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा दाखिल किया है जिस पर अदालत ने सुनवाई शुरू कर दी है। इससे पहले सरकारी पक्ष की ओर से बहस शुरू की गई थी जो अब पूरी हो गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। इस मामले में भी राजनीति भी शुरू हो गई है।
इस मामले में इंतेजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड प्रतिवादी नंबर 1 और 2 हैं जो अपनी दलीलें पेश करेंगे। मस्जिद पक्ष की इंतेजामिया कमेटी ने शनिवार को अदालत में अपनी दलीलें शुरू की और अधिवक्ता अनवर आलम ने बहस की। हिंदू महासभा की ओर से अधिवक्ता विवेक रेंडर ने अदालत के बाहर बताया किहमने नीलकंठ महादेव मंदिर में पूजा की इजाजत के लिए याचिका दाखिल की है। इस पर बहस चल रही है कि यह मामला सुनवाई लायक है या नहीं। जामा मस्जिद इंतजामिया पक्ष के अधिवक्ता ने शनिवार को बहस की, उनकी बहस पूरी नहीं हो सकी। इससे पहले सरकारी पक्ष की ओर से बहस शुरू की गई थी जो अब खत्म हो गई है। मस्जिद पक्ष की बहस पूरी होने के बाद वादी पक्ष अपनी बहस शुरू करेगा। अदालत को देखना है कि मामला चलेगा या नहीं।
क्या कहता है मुस्लिम पक्ष ?
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी का कहना है कि बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद का निर्माण सूफी विचारक और बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश ने 1223 ईसवी में कराया था। ब्रिटिश शासन काल के इतिहास में भी इसका जिक्र है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इसपर पहल करते हुए रोक लगाएँ वरना देश के हालात बहुत खराब हो जाएंगे।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन ने कहा कि यहां पर कभी भी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है। इसको लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वे झूठ हैं और हकीकत के खिलाफ है। ये दावे इतिहास के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि हमें अफसोस इस बात का है कि जो हिंदुस्तान गंगा-जमुना तहजीब के नाम से जाना जाता था, उस पर अब फिरकापरस्त लोगों की नजरें लग गई है। अब साम्प्रदायिक मामलों को उभारा जा रहा है।
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बदायूं की जामा मस्जिद को भी निशाना बनाया जा रहा है। एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) जो भारत सरकार के तहत काम करती है, और उत्तर प्रदेश सरकार भी केस में पार्टी है। दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी। हिंदुत्ववादी तंजीमें किसी भी हद तक जा सकती हैं। उन पर रोक लगाना भारत के अमन के लिए बहुत जरूरी है।